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बांदा की अगस्त क्रांति तुर्रा में रेल पटरी उखाड़ी 21 कोड़ों की सजा मिली


संवाद/ विनोद मिश्रा


बांदा। आजादी की लड़ाई में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित राजाराम रूपोलिहा के योगदान को यादकर बुंदेली आज भी गर्व करते हैं। रेल पटरी उखाड़ने के जुर्म में उन्हें जेल और 21 कोड़ों की सजा दी गई थी। अतर्रा कस्बे के बदौसा रोड आंबेडकर नगर निवासी पौत्र देशबंधु रूपौलिहा ने बताया कि पांच नवंबर 1931 को महात्मा गांधी ने अतर्रा के टापू (चौक बाजार) में भाषण दिया और तिरंगा फहराया था। यह जगह अब गांधी चौक के नाम से जानी जाती है। हर वर्ष राजाराम रूपोलिहा 15 अगस्त और 26 जनवरी यहां पर झंडा फहराते थे। महात्मा गांधी दो दिन पंडित जी के घर ठहरे थे। राजाराम ने 1941 में सत्याग्रह आंदोलन में भाग लिया। इस पर अंग्रेजी शासन ने एक साल के कारागार और 10 रुपये जुर्माना लगाया था।


उन्होंने मलाका जेल (वर्तमान में रानी अस्पताल) प्रयागराज में सजा की अवधि बिताई थी। 1942 में राजाराम अपनी पत्नी लक्ष्मी देवी के साथ महासमिति की बैठक में शामिल होने पंजाब मेल ट्रेन से मुंबई गए थे। वहां महासमिति की बैठक को भंग करने के लिए अंग्रेजी पुलिस व सीबीसीआईडी ने धर्मशाला में छापा मारा था। 21 अगस्त 1942 को तुर्रा में रेल पटरी उखाड़ने के जुर्म में 26 अगस्त को अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद ब्रिटिश कोर्ट ने 21 कोड़ों की सजा सुनाई थी।1949 में वह अतर्रा नगर पंचायत के प्रथम चेयर मैन बनें और गरीबों का टैक्स माफ कर दिया।इन्हें इंदिरा गांधी ने भी सम्मानित किया था।