उत्तर प्रदेशजीवन शैली

नाग पंचमी पर विशेष विलुप्त हो रही गुड़िया पीटने की अनोखी परंपरा

संवाद/ विनोद मिश्रा


बांदा। बुंदेलखंड में नाग पंचमी पर कपड़े से बनी गुड़िया को पीटनें की परंपरा अब लुप्त सी होती जा रही है।दरअसल यहां इस पर्व को मनाने का ढंग कुछ अनूठा है, यहां नागपंचमी के दिन गुड़िया पीटने की अनोखी परंपरा निभाई जाती है। नागपंचमी के दिन लडकियां घर के पुराने कपड़ों से रंग बिरंगी गुड़िया बनाती हैं और उसे चौराहे पर डाल देती हैं। बच्चे इन गुड़िया को कोड़ों और डंडों से पीटकर खुश होते हैं।


किंवदंती है कि एक बार गरुण से बचते हुये एक नाग ने महिला से याचना की, कि वह उसे कहीं छिपा ले। जिससे वह गुरुण के प्रकोप से बच जाये। महिला ने उसे छिपा लिया लेकिन यह बात उसके पेट में नहीं रुकी। उसने अन्य लोगों को भी बता दी। इस बात को सुन क्रोधित हुये नागदेव ने महिला को श्राप दिया कि साल में एक दिन तुम सब पीटी जाओगी। सदियों पुरानी यह प्रथा आज भी एक पर्व के रूप में निभाई जा रही है। औरत के प्रतीक कपड़े से बनी गुड़िया को तालाब के पास या चौराहे पर फेंकती है और लड़के उनकी पिटाई करते है।


एक अन्य किंवदंती है कि नागपंचमी हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार भी होता है। इसके बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं।एक राजा की बेटी थी जिसका नाम गुडिया था। वह दूसरे राज्य के राजा के बेटे से प्रेम करने लगती है। दुश्मन राज्य के युवराज से प्रेम की बात गुडिय़ा के भाइयों को स्वीकार नहीं होती जिसके चलते वह गुडिय़ा की बीच चौराहे पर पिटाई कर देते हैं। उसकी मौत हो जाती है। उसके सातों भाई समाज में यह घोषणा करते हैं कि ऐसा अनैतिक कार्य कोई करेगा तो उसका हश्र भी ऐसा ही होगा। उस दिन के बाद से प्रतिवर्ष यह परम्परा चलती रही और चौराहों पर कपड़े की गुडिय़ा बनाकर पीटी जाने लगी।