अटल बिहारी वाजपेयी की गवाही पर स्वतंत्रता सेनानी लीलाधर वाजपेयी को हुई थी जेल, पूरे गाँव पर लगा था एक हज़ार का जुरमाना
लखनऊ,. आरएसएस और हिंदू महासभा ने भारत छोड़ो आंदोलन में अंग्रेज़ों का साथ दिया था. सावरकर ने अंग्रेज़ी फौज में शामिल होने के लिए भर्ती कैंप लगाया था तो श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा की बंगाल की गठबंधन सरकार के उप मुख्यमन्त्री रहते हुए वॉयसरॉय को चिट्ठी लिखकर इस आंदोलन के दमन के तरीके सुझाए थे. आरएसएस एकमात्र संगठन है जो अपने कार्यालय पर तिरंगा नहीं लगाता और अपने मुखपत्र में तिरंगे की आलोचना करता रहा है. यह देश का दुर्भाग्य है कि आरएसएस इस देश पर हुकूमत कर रहा है. स्वतंत्रता आंदोलन के बलिदानियों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी की भाजपा को सत्ता से हटा दिया जाए.
ये बातें अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक कार्यक्रम की 157 वीं कड़ी में कही.
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अंग्रेज़ों को सत्ता से हटाने के लिए जिस तरह महात्मा गाँधी जी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन चलाया गया था वैसे ही संविधान विरोधी और अंग्रेज़ों के मुखबिरों की सरकार को सत्ता से हटाने के लिए राहुल गाँधी ने भारत जोड़ो आंदोलन चलाया था. आज ज़रूरत इस बात की है कि सभी देशभक्त लोग राहुल गाँधी के साथ खड़े हों और अपनी आज़ादी और संविधान की रक्षा करें.
उन्होंने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन को दबाने के लिए अंग्रेज़ों ने पुलिस फायरिंग कराई जिसमें सरकारी आंकड़ों के अनुसार साढ़े 11 सौ लोग मारे गए थे लेकिन उसमें एक भी आरएसएस और हिंदू महासभा का आदमी नहीं था.
उन्होंने कहा कि आरएसएस की शाखा से जो सबसे क़ाबिल आदमी पैदा उनका नाम अटल बिहारी वाजपेयी था और उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में अंग्रेज़ों के लिए मुखबिरी की थी जिसके कारण बटेस्वर के कांग्रेसी नेता लीलाधर वाजपेयी को जेल जाना पड़ा और पूरे गाँव को लीलाधर वाजपेयी को शरण देने के लिए एक हजार का जुर्माना देना पड़ा.
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अगस्त का महीना जहाँ कांग्रेस के इतिहास के गौरवशाली घटनाओं से भरा है वहीं भाजपा के लिए यह पूरा महीना शर्म के इतिहास से भरा है.