संवाद/ विनोद मिश्रा
बांदा। सरकारी अभिलेखों में हेराफेरी करके मंडल मुख्यालय बांदा शहर में करोड़ों रुपये की सरकारी नजूल भूमि बेचने और अवैध कब्जे व निर्माण का मुद्दा विधान सभा तक पहुंच चुका है। इस पर सरकार ने राजस्व परिषद आयुक्त एवं सचिव और जिलाधिकारी को तत्काल प्रभावी कार्रवाई के निर्देश देते हुए आख्या तलब की थी। पर मामला ठंडे बस्ते में पड़ा है! पिछले वर्ष शीत कालीन विधान सभा सत्र में पूर्व मंत्री और लखनऊ के विधायक रविदास मेहरोत्रा व गोपालगंज (आजमगढ़) के सपा विधायक नफीस अहमद ने लिखित नोटिस के जरिए ये मुद्दा उठाया था।
दोनों विधायकों ने अपनी अलग-अलग दी नोटिस में सदन को अवगत कराया था की बांदा शहर के अलीगंज (लड़ाका पुरवा) में खूंटी चौराहा रामलीला एवं जिला परिषद के पास निजामी पैलेस के बगल में पुराने सरकारी हैजा खाना की भूमि पर भू-माफिया की ओर से राजस्व विभाग और नगर पालिका परिषद के अधिकारियों से मिलीभगत कर सरकारी भूमि बेची जा रही है।अवैध तरीके से बेची गई जमीन पर निर्माण कार्य जोरों पर चल रहा है। विधायकों ने कहा था कि राजस्व रिकार्ड में यह भूमि गाटा संख्या – 2255, 2256, 2295, 2297, 2298, 2305, 2306. 2310, 2311, 2312 आदि में दर्ज है। विधायकों ने इसे लोक महत्व का प्रकरण बताते हुए सरकार से वक्तव्य देने और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की थी।
प्रदेश सरकार के राजस्व विभाग के तत्कालीन विशेष सचिव रामरतन ने विधान सभा और सरकार को अवगत कराया था कि शासन ने राजस्व परिषद आयुक्त एवं सचिव व बांदा जिलाधिकारी को इस मामले में त्वरित एवं प्रभावी कार्यवाही करके शासन को सुस्पष्ट आख्या तत्काल उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट विजय शंकर तिवारी नें बताया था कि जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। यह गोपनीय है।औपचारिक रूप से वहां मकान नजूल भूमि में बने हैं। हालांकि वह पुराने हैं। आगे की करवाई का निर्णय सरकार के हाथ में है। जैसा आदेश मिलेगा वैसा किया जाएगा। लेकिन फिलहाल अब तक मामला ठंडे बस्ते में क्यों हैं ,यह विचारणीय पहलू है।