एसजेपीयू की मासिक पढ़ाई से भी नहीं लिया सबक
नरेश पारस के हस्तक्षेप पर सीडब्लूसी ने बाल गृह में दिया आश्रय
आगरा। हर माह पुलिस लाइन में आयोजित विषेष किशोर इकाई की बैठक में किषोर न्याय अधिनियम (जेजे एक्ट) का पाठ पढ़ाया जाता है। जिसमें प्रशासनिक बाल हितग्राहियों के साथ हर थाने के बाल कल्याण अधिकारी प्रतिभाग करते हैं। बैठक में किशोर न्याय अधिनियम के बारे में बताया जाता है। बच्चा लावारिष मिलने पर उसे कहां आश्रय दिलाया जाए। बच्चे के साथ कैसे पेश आएं लेकिन पुलिस अधिकारियों को जेजे एक्ट की बारीकियां नहीं मालूम हैं। एमसीए के छात्र को लाल किले पर मिले लावारिष बच्चे को छात्र को ही देखभाल के लिए दे दिया। वह लगातार अनुरोध करता रहा कि उसे बाल गृह में आश्रय दिला दो लेकिन किसी ने नहीं सुनी। चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस के हस्तक्षेप पर बाल कल्याण समिति ने बालक को राजकीय बाल गृह में आश्रय दिलाया।
लालकिले पर भटकता मिला मासूम
15 जून को एमसीए के छात्र मनीष वर्मा आगरा किला के पास से गुजर रहे थे। तभी एक सात वषीय बालक रो रहा था। उससे रोने का कारण पूछा तो उसने कुछ नहीं बताया। मनीष ने उसे कुछ खाने को दिया तो बालक उसके पीछे चल दिया। छात्र ने आसपास के लोगों से बच्चे के परिवार की जानकारी ली तो सबने मना कर दिया। छात्र बालक को बिजलीघर चौकी ले गए। वहां छात्र का नाम पता नोट करके कह दिया कि इसे अपने घर ले जाओ। कोई परिजन आएगा तो सूचित कर दिया जाएगा। वह छात्र को अपने साथ घर ले गए।
परिवार के विरोध पर ले गया हॉस्टल
मनीष जब बच्चे को अपने घर ले गए तो कुछ दिन तो परिजनों ने दुलार किया लेकिन अधिक दिन हो गए तो परिजनों ने विरोध करना शुरू कर दिया। परिजनों के विरोध के चलते मनीष बच्चे को अपने साथ कॉलेज के हॉस्टल ले गए। पुलिस से लगातार अनुरोध किया लेकिन बच्चे के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया। आगरा किला चौकी प्रभारी को भी बताया लेकिन नतीजा सिफर रहा। छात्र की परीक्षाएं शुरू हो गईं। इससे उनका तनाव दो गुना हो गया। उन्होंने कहा कि ऐसे तो कोई किसी की मदद के लिए आगे नहीं आएगा।
नरेश पारस ने बढ़ाई हिम्मत, दिलाया आश्रय
दो माह बीत जाने के बाद भी जब कहीं सुनवाई नहीं हुई तो छात्र ने बाल अधिकार कार्यकर्ता नरेश पारस से संपर्क कर पूरी कहानी बताई। नरेश पारस ने कहा कि तुम चिंता न करो। तुमने अच्छा काम किया है। ऐसे लावारिष बच्चों के लिए लोगों को आगे आना चाहिए। नरेश पारस छात्र के साथ बच्चे को लेकर बाल गृह पहुंचे। जहां उसे बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया। बाल कल्याण समिति के आदेश पर बालक को बाल गृह में आश्रय दे दिया गया है। नरेश पारस ने कहा कि जानकारी के अभाव में पुलिस ने बच्चे को छात्र के सुपुर्द कर दिया था। नियमानुसार पुलिस को बच्चा जिला बाल संरक्षण इकाई अथवा बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश करना चाहिए था। जहां से उसे आश्रय मिल जाता। पुलिस को किशोर न्याय अधिनियम पर विशेष प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है। बच्चे को आश्रय दिलाने के दौरान बाल कल्याण समिति सदस्य निमेष बेताल सिंह, अर्चना उपाध्याय, रेनू चतुर्वेदी, हेमा कुलश्रेष्ठ तथा रितु वर्मा मौजूद रहे।