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गणित-विज्ञान समेत 55 विषयों में माहिर थे आला हज़रत

विश्‍व की 100 यूनिवर्सिटी में उनके जीवन पर हो रहे शोध

बरेली। आला हजरत इमाम अहमद रजा खां फाजिले बरेलवी ऐसी शख्शियत थे, जिन्होंने देश व दुनिया की तमाम समस्याओं को हल कर दिया था। वह समसायिक विषयों पर काफी प्रखर होकर तर्कों के साथ विचार व्यक्त करते, जिसका अनुसरण अब तक लोग कर रहे हैं।
मुफ़्ती सय्यद अज़ीमउददीन अज़हरी ने बताया कि दुनिया की तकरीबन सौ यूनिवर्सिटी में आला हजरत की जिंदगी और खिदमात (कारनामों) पर तहकीक (शोध) हो रही है। जैसे-जैसे तहकीक आगे बढ़ रही है, आपकी जिंदगी और इल्मी कारनामों के नई-नई बातें सामने आ रही हैं। दुनिया के बड़े-बड़े दानिशवर (बुद्धिजीवी) ये देख कर हैरान हैं कि इमाम अहमद रजा की जाते गिरामी इतने विषयों में कैसे माहिर थे। ऐसी शख्सियत सैकड़ों साल बाद कोई एक पैदा होती है।
उन्होंने बड़े से बड़े विज्ञानियों के नजरियात (विचारों) को बदल दिया, मगर अब तक किसी भी विज्ञानी ने उनके दलाइल (दलीलों) को चैलेंज नहीं दिया है। आला हजरत के ज्ञान को इस बात से भी आंक सकते हैं कि सिर्फ साढ़े सात घंटे में कुराने करीम के 30 पारे याद कर लिए थे, उनका फरमाना था कि कोई भी शख्स कोई भी किताब एक बार मुझ को पढ़ कर सुना दे और दोबारा पूरी किताब मुझ से हूबहू सुन ले। आला हजरत ने दुनिया की कई बड़ी समस्याओं पर पर अपने विचार व्यक्त किये और उनको हल करते हुए दुनिया के सामने पेश किया। एक समय पर बड़े बड़े मुफ्तियों ने मनी आर्डर को हराम बताया था, क्योंकि एक स्थान पर जो रुपये दिये जाते थे तो वहां से दूसरे रुपये मिलते थे। मनी आर्डर पर लगने वाले चार्ज को अन्य आलिमों ने सूद बताया था। इसके बाद आला हजरत ने मनी आर्डर को जायज बताने के साथ ही कहा था कि इस पर लगने वाला चार्ज भी मजदूरी की श्रेणी में आता है और मजदूरी के बदले दी जाने वाली रकम जायज होती है। आला हजरत ने इसका ऐसा फैसला किया कि पूरी दुनिया ने इसे तस्लीम (स्वीकार) किया। इस सिलसिले में उनकी तहकीकात और किताबें देखी जा सकती हैं। दुनिया में एक वक्त ऐसा आया कि सिक्के कम होने लगे और करंसी नोटों को बढ़ावा मिलने लगा। उस समय कई बड़े आलिमों ने करंसी के नोटों का प्रयोग करना हराम बता दिया था। इसके बाद आला हजरत ने शरीयत की रोशनी में एक किताब लिखकर करंसी नोटों के प्रयोग को जायज बताया था।

जमात रज़ा ए मुस्तफा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व उर्स प्रभारी सलमान हसन खान (सलमान मिया)  ने कहा कि 106 व उर्से आला हज़रत की तैयारियां मथुरापुर स्थित इस्लामिक स्टडी सेण्टर में शुरू हो गयी हैं, बारिश को देखते हुए उर्स का स्टेज के लिए मुरादाबाद की कंपनी से संपर्क किया गया है जिससे उर्स के दौरान बारिश होने पर कोई दिक्कत न हो | हर साल की तरह इस साल भी ज़ायरीन के खाने का प्रबंधन बड़े लेवल पर किया जा रहा है l

जमात रज़ा ए मुस्तफा के राष्ट्रीय महासचिव फरमान हसन खान (फरमान मिया) ने  कहा कि उर्से रज़वी करीब है जिसकी युद्ध स्तर पर तैयारियाँ चल रही हैं। आला हज़रत के किसी भी ज़ायरीन को कोई परेशानी न हो इसलिए शहरभर मीटिंगो का दौर जारी है l ज़ायरीन को अगर कोई परेशानी हो तो वो जमात रज़ा ए मुस्तफ़ा के दफ्तर से संपर्क कर सकता है l उर्सगाह मथुरापुर में जायरीन के कयाम के अलावा लंगर की व्यवस्था बड़े पैमाने मे की गई किसी भी जायरीन को परेशानी ना हो उर्स स्थल पर मेडिकल कैम्प लगाये जायेंगे । सिटी स्टेशन से जायरीन के लिए मुफ्त बसों की व्यवस्था मथुरापुर तक के लिए रहेगी।