आगरा। सामाजिक न्याय(आरक्षण) के खिलाफ भाजपा का मूल चाल चलन चरित्र बेनकाब नरेंद्र मोदी और उसके सहयोगी दलों की सलाह से सिविल सेवा कर्मियों की जगह अब संघ लोक सेवा आयोग ने निजी क्षेत्र से संयुक्त सचिव, उप-सचिव और निदेशक स्तर पर नियुक्ति के लिए सीधी भर्ती का विज्ञापन निकाला है। इसमें कोई सरकारी कर्मचारी आवेदन नहीं कर सकता।
ये जानकारी आज सपा सांसद रामजीलाल सुमन ने आयोजित प्रेस कान्फ्रेस में दी।
साथ उन्होंने ये भी बताया कि इसमें संविधान प्रदत आरक्षण की व्यवस्था नहीं है। कारपोरेट में काम कर रहे बीजेपी मानसिकता वाले लोगों को सीधे भारत सरकार के महत्त्वपूर्ण मंत्रालयों में उच्च पदों पर बैठाने का यह भाजपाई मॉडल है। इसके तहत नियुक्ति प्रक्रिया में दलितों पिछड़ों और आदिवासियों को आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिलेगा। वंचितों के अधिकारों पर
एन डी ए के लोग डाका डाल रहे है।
कई वर्षों से आंदोलनरत रहे परन्तु सरकार ने सुध नहीं ली
भाजपा सरकार में स्वाभिमान गिरवी रखकर आरक्षित वर्ग के जनप्रतिनिधि मां.उच्च न्यायालय के आदेश का आज स्वागत कर रहे है ।सर्दी,धूप,गर्मी में वर्षों से आंदोलनरत अभ्यर्थियों का दर्द
आरक्षित वर्ग के भाजपाई जनप्रतिनिधियों को दिखाई नहीं दिया ।
हम पूछना चाहते हैं कि भाजपा के आरक्षण विरोधी चरित्र के प्रमाणित होने के पश्चात भी ,क्या नैतिकता के आधार पर ये लोग इस्तीफा देंगे।क्या आरक्षित वर्ग के युवाओं को आंदोलन और जटिल न्यायिक प्रक्रिया से गुजरने के पश्चात ही सामाजिक न्याय मिलेगा।
भाजपा का आरक्षण विरोधी मूल चरित्र अब पूर्ण रूप से उजागर हो गया है देश प्रदेश की एक बड़ी आबादी अपने साथ हो रहे सामाजिक अन्याय के विरुद्ध भाजपा को जवाब देने के लिए सड़क से संसद तक संघर्ष करने के लिए तैयार हैं नरेंद्र मोदी और उनके सहयोगी दलों की सरकार द्वारा लाभकारी सरकारी उपक्रमों को औने पौने दामों में निजी हाथों को सौंपना सबसे बड़ा आरक्षण विरोधी कदम था चुकीं एक और जहां अपने से जुड़े कार्पोरेट घरानों को आर्थिक लाभ पहुंचाया गया वही दूसरी ओर निजी क्षेत्र में जाते ही पिछड़ा एवं दलितों का आरक्षण स्वत: समाप्त हो गया।
सामाजिक न्याय के विरुद्ध भाजपा के इस षड्यंत्र में सम्मिलित आरक्षित वर्ग के जनप्रतिनिधियो को ये याद रखना चाहिए कि संविधान में प्रदत्त बाबा साहब द्वारा आरक्षण की व्यवस्था के तहत ही आज ये लोग विधान सभा और लोकसभा तक पहुंच पाए है। आरक्षण विरोधी मुहिम में सम्मिलित इन प्रतिनिधियों को
आगे आने वाली पीढियां कभी माफ नहीं करेंगी।
एन डी ए के सहयोगी दल एक ओर खुद को आरक्षित वर्ग का
सबसे बड़ा हितैषी घोषित करने के लिए सामाजिक न्याय से जुड़े इन मुद्दों पर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं वहीं दूसरी ओर सत्ता की मलाई चाटने के लिए आरक्षण विरोधी एन डी ए गठबंधन का हिस्सा हैं।
आरक्षण को लेकर भाजपा की नीयत प्रारंभ से ही ठीक नहीं रही है डॉ .बी आर अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान में एससी,एसटी के लिए सामाजिक आधार पर आरक्षण की व्यवस्था की गई इसके मूल स्वरूप को परिवर्तित करने संबंधी किसी भी व्यवस्था को स्वीकार नहीं किया जाएगा। संसद में विधेयक लाकर नरेंद्र मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने आदेश के माध्यम से की गई नई व्यवस्था को तत्काल समाप्त करना चाहिए।