संवाद/ विनोद मिश्रा
बांदा। जिले में नकली दवाओं का गोरखधन्धा चरम पर ह़ै। मेडिकल स्टोरों से लिए जाने वाले दवाओं के नमूनों में खेल हो रहा है। चंद नमूने ही जांच के लिए लैब भेजे जाते हैं। ऐसे में शहर से लेकर गांवों तक नकली दवाओं का धंधा जोर पकड़ रहा है। दवाओं में अधिक कमाई के खेल में डाक्टर भी पूरा साथ निभा रहे हैं।
कम कीमत में ज्यादा मुनाफा कमाने की होड़ में नकली दवाओं का कारोबार जोर पकड़े है। इनकी कीमत होती है।
खासकर झोलाछाप डाक्टर इन दवाओं को खरीदकर गांवों में खपा रहे हैं। सेहत दुरुस्त करने और खून बढ़ाने वाले टॉनिक कमाई का प्रमुख जरिया हैं। गांवों में अपनी दुकान चला रहे झोलाछाप मरीजों को टॉनिक जरूरी बताते हैं। नकली टेबलेट, कैप्सूल, इंजेक्शन और तमाम तरह के मरहम आदि की धड़ल्ले से आपूर्ति हो रही है। कुछ दवा विक्रेताओं का कहना है कि डाक्टरों को कमीशन देने के लिए उन्हें अधिक मुनाफा वाली दवाएं बेंचना मजबूरी है।
पर्चे में लिखी दवा के अलावा दूसरी कंपनी की दवा देने पर डाक्टर उन्हें वापस करा देते हैं। तमाम दवाएं परचून की दुकानों में बिक रही हैं। बिना फार्मासिस्ट के मेडिकल स्टोर चल रहे हैं। इस बाबत ड्रग इंस्पेक्टर श्रीकांत गुप्ता का कहना है कि नकली दवाओं और ओवर रेटिंग के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जाता है। नमूने परीक्षण के लिए भेजे गए हैं। रिपोर्ट आने पर कार्रवाई की जाएगी।