ऐतिहासिक मंदिर पर भजन सुनने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी
संवाद।। तौफीक फारूकी
फर्रुखाबाद, भगवान कृष्ण के जन्म की पूर्व संध्या पर महाभारत कालीन मंदिर पांडेश्वर नाथ मंदिर पर भजन संध्या का आयोजन किया गया। कान्हा की सुन के मैं आई, यशोदा मैया दे दो बधाई, मुन्ना गुप्ता का भजन खूब सराहा गया।
बताते चलें कि इस पौराणिक व ऐतिहासिक मंदिर पर भजन सुनने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी। कृष्ण जन्म के उपलक्ष्य में पांडेश्वर नाथ मंदिर पर आज सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ जमा हो गई। भक्तों ने यहां भोले भंडारी के दर्शन कर भगवान कृष्ण की सजाई गई झांकियों का आनंद लिया।
मशहूर भजन गायक मुन्ना गुप्ता ने भगवान कृष्ण से सम्बंधित भजनों की झड़ी लगा दी। यहां भजन संध्या में लोग बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहे है। पूरे दिन यहां भजन कीर्तन का आयोजन चलता रहा। आवास विकास स्थिति नर्मदेश्वर महादेव मंदिर पर कृष्ण जन्म के अवसर पर झांकी सजाई गई। कीर्तन का आयोजन किया गया।
यहां मंदिर के संरक्षक अनिल सिंह भदौरिया, विजय कटियार, रविशंकर सिंह चौहन, सुरेश यादव, मृदुल कटियार, उमेश गुप्ता की ओर से प्रसाद आदि वितरण की व्यवस्था की गई। यहां भी भगवान कृष्ण के जन्म की खुशी में सुवह से ही भजन पूजन शुरू हो गया।
फतेहगढ़ के हनुमान मंदिर पर भव्य झांकी सजाई गई। यहां भक्तो की सुवह से ही भारी भीड़ लगी रही। भारत माता मंदिर नवदिया में कई आयोजन किये गए। जिले भर में भगवान कृष्ण के जन्म से पहले सारे दिन भजन कीर्तन चलते रहे।
इस मौके पर भक्त बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते रहे। इस मौके पर ओशो शिष्य स्वामी आनंद पुनीत ने कहा कि कृष्णा गुरु शखा और मित्र के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने अपने आप को भगवान के रूप में कभी प्रदर्शित नहीं किया। कभी ग्वालो के साथ में सखावत रहे तो कभी अर्जुन को गुरु की तरह उपदेश देकर पांडवों का उद्धार किया। कृष्णा से बड़ा सद्गुरु आज तक नहीं पैदा हुआ है।
कृष्ण के अंदर 16 कलाये थी। जिनकी वजह से शत्रु उनके सामने आते ही झुक जाता था। कृष्ण की महिमा जानना है तो गहरे ध्यान में डुबकी लगाना होगा। जहां कृष्ण का जन्म होता है और कृष्णा कही सातवें आसमान पर नहीं है। वह हर व्यक्ति के अंदर विद्यमान है। केवल उसे जागृत करने की जरूरत है।
इस तरह समझा जाए की तार पर बिजली प्रवाहित हो रही है और जब तक उसमें बल्ब और होल्डर नहीं लगाया जाएगा तब तक प्रकाश पैदा नहीं होगा। प्रकाश पैदा करने के लिए उसमें बल्ब और होल्डर लगाना जरूरी होता है। इसी तरह अपने अंदर व्याप्त परमात्मा को जानने के लिए कृष्ण जैसे सद्गुरु की शरण में जाना अति आवश्यक होता है।