उत्तर प्रदेशजीवन शैली

चित्रकूट मंडल में भी है भगवान कृष्ण का वृंदावन धाम जन्माष्टमी का रहता है इंतजार


संवाद/ विनोद मिश्रा


बांदा। चित्रकूट मंडल में भी बसी है भगवान कृष्ण की नगरी।जीहां चित्रकूट मंडल का चरखारी कस्बा कृष्णनगरी के नाम से भी जाना जाता है। बुंदेलखंड के वृंदावन धाम चरखारी में एक दो नहीं पूरे 108 कृष्ण मंदिर हैं। कृष्ण जन्मोत्सव आते ही मथुरा और वृंदावन को जितना कृष्ण जन्मोत्सव का इंतजार रहता है, उतनी ही भक्ति भावना यहां के वृंदावन चरखारी में भी रहती है।पंचमी के दिन चरखारी के 108 कृष्ण मंदिरों से देवताओं की प्रतिमाएं गोवर्धन मेला स्थल लाई जाती हैं। इसी दिन सम्पूर्ण देव समाज ने प्रकट होकर श्रीकृष्ण से गोवर्धन पर्वत उतारने की विनती की थी।

सप्तमी को इन्द्र की करबद्ध प्रतिमा गोवर्धन जू के मंदिर में लाई जाती है।चरखारी झीलों की नगरी है। कस्बे में सप्त सरोवर हैं, जो एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। विजयसागर, मलखान सागर, वंशी सागर, जय सागर, रतन सागर और कोठी ताल नामक झीलों में चारों तरफ फैले नीलकमल व पक्षियों का कलरव इनकी खूबसूरती में चार चांद लगा देता है।


राजा परमाल के पुत्र रंजीत ने चरखारी को अपनी राजधानी बना चक्रधारी मंदिर की स्थापना की थी। चक्रधारी मंदिर के नाम पर ही राजा मलखान सिंह के समय इसका नाम चरखारी पड़ा था। स्थानीय लोग इसे महाराजपुर भी कहते रहे हैं। चरखारी में 108 कृष्ण मंदिर हैं। जिसमें सुदामापुरी का गोपाल बिहारी मंदिर , रायनपुर का गुमानबिहारी मंदिर, मंगलगढ़ के मंदिर, बख्त बिहारी मंदिर, बांके बिहारी मंदिर शामिल हैं।