उत्तर प्रदेशखेल

खेल दिवस : बांदा से जुड़ी हैं जादूगर “मेजर ध्यान चंद” की यादें


संवाद/ शरद मिश्रा


बांदा। हॉकी के लिए मेजर ध्यानचंद का नाम ही काफी है। हॉकी के जादूगर दद्दा का बांदा से विशेष लगाव था। यहां का राइफल क्लब मैदान आज भी उनकी यादें संजय है। उन्होंने यहां मैच खेला था, लेकिन 70 मिनट के मैच में उन्हें एक गोल मारना मुश्किल पड़ गया था। मैच खत्म होने के बाद उन्होंने टीम के खिलाड़ियों की प्रशंसा करते हुए उनकी पीठ थपथपाई थी।मेजर का जन्म 29 अगस्त 1905 को हुआ था। इस दिन को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है। उनकी याद में पहले से खेल प्रतियोगिताओं का आगाज शुरू हो जाता है।


जिले के वरिष्ठ हॉकी खिलाड़ी एवं शिक्षक रहे फसी उल्ला खान बताते हैं कि पहली बार मेजर ध्यानचंद 1945 मैं झांसी से बांदा अपनी हॉकी टीम को लेकर आए थे। राइफल क्लब मैदान जो पहले मुस्लिम क्लब के नाम से जाना जाता था,वहां उनका बांदा टीम से मुकाबला हुआ । हालांकि वह “शो मैच” था। लेकिन बांदा के खिलाड़ी ऐसा शानदार खेले कि मैच में एक गोल करने के लिए मेजर ध्यानचंद “तरस” गए थे। मैच ड्रा हो गया था। फसी उल्ला खान बताते हैं कि स्टेडियम का मेजर ने उद्घाटन किया था। इसका पत्थर भी लगा लेकिन देख-रेख के अभाव में गायब हो गया। जो दुर्भाग्यपूर्ण है।