संवाद/ विनोद मिश्रा
बांदा। यातायात व्यस्था को चित्त कर देने के रोल में ई-रिक्शा बांदा केसरी बने गये है। यातायात व्यवस्था को हर चौराहे से लेकर बाजार तक ताल ठोंक हुंकार भर रहें हैं और याता यात प्रशासन इन्हें झुक -झुक कर सलाम कर रहा है। रैफरी के रूप में यातायात पुलिस सिटी बजाती भी कहीं नजर नहीं आती। शहर की यातायात व्यवस्था ई रिक्शों से धड़ाम हो गई है। त्योहार का सीजन शुरूहै। बाजार,स्टेशन व बस स्टैंड जाने वाले लोगों को घंटों जाम से जूझना पड़ रहा है। स्कूल बसें, एंबुलेंस और स्वर्गारोहण वाहनों को भी जाम के झाम से से दो-चार होना नीयत बन गया है। जाम खुलवाने को जब हल्ला मचता है तो ट्रैफिक पुलिस दौड़ी आती है। जाम से मुक्ति में इनके छक्के छूट जाते है।
जिला प्रशासन, पुलिस, नगर पालिका और परिवहन विभाग के सभी कायदे कानून ई-रिक्शा चालकों के सामने नतमस्तक हैं। दो साल पहले यहां तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक के सत्यनारायण के निर्देश पर पुलिस अधीक्षक शालिनी सिंह ने शहर के सभी प्रमुख चौराहों और पुलिस चौकियों के नजदीक ठेलिया और पटरी दुकानों हटाकर ई-रिक्शा स्टैंड बनवाएं थे। हर ई-रिक्शा के लिए संबंधित चौराहे से सवारी लेने को रूट निर्धारित था। यहां तक कि बलखंडी नाका से गूलर नाका तक, चौक बाजार में ई-रिक्शा प्रवेश वर्जित था। उनके जाते ही यह व्यवस्था उड़न छू हो गई।अब वर्तमान पुलिस अधीक्षक अंकुर अग्रवाल से उम्मीद है की शायद उनका करम यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने पर रहम करे।