उत्तर प्रदेशजीवन शैली

श्वेत क्रांति हो गई है बदहाल : युवावों के सपने बन गये “मुंगेरी लाल”


संवाद/ विनोद मिश्रा


बांदा। श्वेत क्रांति जिले में करुण क्रन्दन कर रही है। शासन की नेक मंशा युवावों के लिये मुंगेरी लाल सी बन गई है। क्योंकि मंशा ढ़ेर है!
आपको बता दें कि शासन की मंशा है कि पशुपालन व दुग्ध व्यवसाय के जरिए युवा रोजगार हासिल कर अपना आर्थिक विकास करे, लेकिन पशुपालन व्यवसाय जिले में परवान नहीं चढ़ पा रहा है। यहां अधिकारी से लेकर चपरासी तक के ज्यादातर पद खाली हैं। सदर, नरैनी और अतर्रा में उप मुख्य चिकित्साधिकारी नहीं है। वहीं,बिसंडा पशु अस्पताल में भी पशु चिकित्साधिकारी की कुर्सी सूनी है। फार्मासिस्ट के 18 में दस पद खाली हैं। पशुधन प्रसार अधिकारी के 22 में 14 पदों पर तैनाती नहीं हैं। चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के बिना चिकित्सक खुद ताला खोलते है और सफाई करते हैं।


पशुपालन विभाग पर दुग्ध उद्योग के जरिए भले ही युवाओं का पलायन रोकने व रोजगार देने की जिम्मेदारी हो,लेकिन,इसके प्रति गंभीरता नहीं है। यही नहीं, बेसहारा गोवंशी पशुओं की नस्ल सुधारकर उन्हें दुधारू बनाने और पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए टीकाकरण के दायित्व को भी नजरंदाज किया जाता है। पशपुलान विभाग में ज्यादातर पदों पर कुर्सियां खाली हैं। इससे गला घोंटू, मुंहपका, खुरपका, ब्रेसल्ला जैसे टीकाकरण के कार्य प्रभावित हैं। इसके अलावा पशुपालन, मुर्गी पालन, गोकुल योजना, बेसहारा गोवंशी पशुओं को संरक्षित करने तथा उनके नस्ल सुधार की योजनाएं धरातल के बजाए फाइलों में ही दौड़ रही हैं। फार्मासिस्ट, उप मुख्य चिकित्साधिकारी, पशु चिकित्साधिकारी व पशुधान प्रसार अधिकारी के पदों पर अरसे से नियुक्ति न होने से पशुपालकों को मायूस होना पड़ता है।