पंजाब

वक्फ बोर्ड एडमिनिस्ट्रेटर ने लिया सख्त एक्शन, बोर्ड मुलाजिमों के पेंशन पर लगाई रोक

संवाद।। मजहर

पूर्व एडमिनिस्ट्रेटर एम एफ फारूकी ने जारी किए थे बोर्ड मुलाजिमों को पेंशन

बोर्ड के रिटायर अधिकारियों में पाया जा रहा है भारी रोष

जालंधर : पंजाब वक्फ बोर्ड के नए एडमिनिस्ट्रेटर/‌ डीसी पटियाला शौकत अहमद पारे (आईएएस)ने एक अहम फैसला लेते हुए वक्फ बोर्ड के तकरीबन 93 रिटायर्ड मुलाजिमों की पेंशन पर पुरी तरह से रोक लगा दी है।
यह पेंशन फरवरी 2024 को एडीजीपी/ एडमिनिस्ट्रेटर एमएफ फारूकी के वक्त में वक्फ बोर्ड मुलाजिमों की मांग पर जारी की गई थी।
वक्फ बोर्ड की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार पंजाब वक्फ बोर्ड के सेवानिवृत्त कर्मचारियों (इमाम/मुअज्जिन/केयरटेक सहित ग्रुप ए, बी, सी और डी) के लिए सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सहायता (एफएएआर) लागू की गई थी।
चूंकि, उक्त निर्णय की कानून के प्रावधानों और लागू सेवा विनियमों को ध्यान में रखते हुए पुनः जांच की गई है और यह पाया गया है कि यह नियमों का उल्लंघन है।
नोटिफिकेशन में कहां गया है की बोर्ड के सेवानिवृत्त कर्मचारियों (ग्रुप ए, बी, सी, डी) को उनकी नौकरी के दौरान पंजाब सरकार के कर्मचारियों के लिए लागू दरों पर वेतन दिया जाता था और वे अंशदायी भविष्य निधि नियम, 1962 के अंतर्गत आते थे।सी.पी.एफ. नियम स्वयं में किसी भी सेवा से संबंधित सरकार के प्रत्येक गैर-पेंशनभोगी कर्मचारी पर लागू होते हैं और पंजाब वक्फ बोर्ड ने उनकी नौकरी के दौरान सी.पी.एफ. के लिए नियमों के अनुसार मासिक अंशदान किया है।
सेवानिवृत्त कर्मचारी अपने रोजगार के दौरान पंजाब वक्फ विनियम, 1966 या पंजाब वक्फ (मंत्रालयिक सेवाएं) विनियम, 2019 के अंतर्गत आते थे और उक्त विनियमों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो सेवानिवृत्ति के बाद किसी पेंशन/वित्तीय सहायता का प्रावधान करता हो।
एफएएआर के तहत पेंशन/वित्तीय सहायता का प्रावधान सीपीएफ नियमों की मूल भावना के खिलाफ है क्योंकि उक्त नियम विशेष रूप से गैर-पेंशन योग्य पदों के लिए हैं। बोर्ड द्वारा सीपीएफ में किए गए योगदान से अधिक कोई भी भुगतान दोहरा लाभ होगा। एफएएआर के तहत पेंशन/वित्तीय सहायता देने का कार्य वक्फ विनियम 1966 या पंजाब वक्फ (मंत्रालय सेवा) विनियम, 2019 के किसी भी प्रावधान द्वारा समर्थित नहीं है। राज्य सरकार के अधीन कई संगठन भी हैं जो सीपीएफ के अंतर्गत आते हैं और उनमें से किसी में भी सीपीएफ के अलावा पेंशन/वित्तीय सहायता का ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
इमाम/मुअज्जिन/केयरटेकर के मामले में, वे सीपीएफ योजना के अंतर्गत कवर नहीं किए गए थे और उन्हें न्यूनतम सेवानिवृत्ति लाभ के साथ अल्प वेतन दिया जाता था। ऐसे कर्मचारियों के संबंध में कल्याणकारी उपाय के रूप में एफएएआर को जारी रखने या न रखने की अलग से जांच की जाएगी।
इसलिए, उपर्युक्त तथ्यों पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद, यह निष्कर्ष निकाला गया है कि आदेश संख्या स्थापना III/2017/2024/कैंप कार्यालय/253 दिनांक 12.02.2024 के अनुसार अनुमोदित और जारी एफएएआर को बोर्ड के सेवानिवृत्त ग्रुप ए, बी, सी और डी कर्मचारियों के लिए जारी पेंशन को तुरंत वापस ले लिया जाएगा।
नोटिफिकेशन में साफ तौर पर लिखा है कि जिन लोगों को पेंशन जारी किए गए हैं वह पेंशन के हकदार ही नहीं है और बोर्ड के ला के आधार पर उनकी पेंशन पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।
वहीं वक्फ बोर्ड के रिटायर्ड मुलाज़िमों में भारी रोष पाया जा रहा है।
वहीं पंजाब वर्क ऑफ बोर्ड के एडमिनिस्ट्रेटर/ डीसी पटियाला शौकत अहमद पारे से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि जो वक्त बोर्ड के ला के मुताबिक फैसले लिए गए हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पहले के वह कब बोर्ड एडमिनिस्ट्रेटर ने किस आधार पर पेंशन जारी किया उसे पर मैं कोई कमेंट नहीं कर सकता। हमने जो आधार देखा है उसी के मुताबिक फैसले लिए हैं।