उत्तर प्रदेशजीवन शैली

भगवान शिव के परिवार से जग को ऊर्जा मिलती है – पं. गरिमा किशोरी


आगरा। खेमेश्वर नाथ महादेव मंदिर तोता का ताल पर आयोजित श्री शिव महापुराण कथा में कथा व्यास पूज्या पं गरिमा किशोरी जी ने कहा अपना कर्म स्वयं करो। अंतिम समय में जो तुमने कमाया है वही तुम्हारे साथ जाएगा। जब तुम्हारे प्राण छूटेंगे सब यहीं रह जाएगा। शरीर से टूट जाना मगर मन से कभी मत टूटना। सौभाग्यशाली होती हैं वह जीव आत्माएं, जिन्हें संतों की संगत में बैठकर भगवान शिव की कथा को श्रवण करने का अवसर मिलता है। कथा यज्ञ स्थली एक ऐसा माध्यम है, जहां आकर माया में लिप्त हमारा मन कुछ समय के लिए प्रभु का चिंतन एवं गुणगान कर विश्राम पाता है।

कल्याणकारी कथा जीने की कला सिखाती है। आज राधाष्टमी के शुभ अवसर पर श्री राधा रानी के प्राकट्य की कथा को श्रवण कराया। किशोरी जी ने कहा जो भी व्यक्ति राधा रानी की सरण में जाते है किशोरी जी उन्हें कभी निराश नही करती । किशोरी जी ने सभी भक्तों को राधाष्टमी की शुभकामनाएं दी ।


संगीतमय शिव महापुराण के द
पांचवे दिन बुधवार को पंडित गरिमा किशोरी जी ने भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र श्री गणेश जी के जन्मोत्सव ,कार्तिके भगवान के जन्म की कथा तथा तारक बध आदि कथाओ को श्रवण कराया। किशोरी जी ने कहा भगवान शिव हमेशा जनकल्याण के बारे में ध्यान में रहते है और माता पार्वती सभी के कल्याण की भावना रखती है, भगवान शिव के परिवार से जग को ऊर्जा मिलती है। कथा में सात ब्राह्मणों द्वारा ओम नमः शिवाय का जाप किया। बुधवार को शहरी और ग्रामीण समाजसेवियों सहित अन्य ने कथा व्यास पंडित गरिमा किशोरी जी का स्वागत कर आशीर्वाद लिया।


शिव महापुराण जीवन जीने की कला सिखाती है
उन्होंने कहा कि हमारा कर्तव्य बस इतना है कि हम अपनी श्रद्धा भगवान शिव को समर्पित करें। अपनी पूजा में भगवान शिव से वैभव, धन समृद्धि, गाड़ी, बंगला के बजाय भगवान का साथ मांगिये जब बाबा आपके साथ होंगे तो सारी चीजें आपको प्राप्त हो जाएगी। माता पिता गुरु कभी भेद नहीं करते भेद की दृष्टि हमारे मन की उपज है।खेमेश्वर धाम पर जारी नव दिवसीय कथा में हर रोज बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं आ रहे है और मंत्रमुग्ध होकर सुन रहे श्रद्धालुओं को शिव पुराण में वर्णित प्रसिद्ध शिव भक्तों के जीवन चरित्र, भक्ति के संबंध में कथा का वाचन किया।
इस शुभ अवसर पर आज के यजमान नितिन चंचल सैनी,नंदलाल छत्तानि, अजय माहौर, पं विद्यासागर तिवारी, पं दिनेश चंद मिश्रा, पं अनिल तिवारी, पं रामगोविंद उपाध्याय, पं राधेश्याम त्रिपाठी, पं भोला पांडेय, पं गोपाल जी , सत्यम शर्मा, हर्षिल भोजवानी, आनंद नोतनानी,राजा सुखलानी,गोपाल अग्रवाल आदि लोग मौजूद रहे।