- हिंदी दिवस पर सजी आराधना संस्था और हिंदी साहित्य अकादमी की काव्य महफिल
- राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबिता सिंह और सदस्य मनीषा अहलावत का हुआ सम्मान
आगरा। हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में आराधना संस्था एवम हिंदी साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित शाम कविता के नाम रही। शनिवार को होटल भावना क्लार्क्स इन में सजी इस महफिल में देश के नामचीन कवियों ने अपनी प्रस्तुति से समां बांध दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबिता चौहान, मेरठ से पधारी महिला आयोग सदस्य मनीषा अहलावत और कार्यक्रम अध्यक्ष वरिष्ठ कवि बी पी सिंह मिलिंद ने दीप प्रज्वलित करके किया। इस अवसर पर साहित्य अकादमी की अध्यक्ष डा नीतू चौधरी, आराधना की महासचिव डा हृदेश चौधरी और कार्यक्रम समन्वयक कवि पवन आगरी ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया।
डा रुचि चतुर्वेदी की सरस्वती वंदना से प्रारंभ हुए इस कवि सम्मेलन में यश भारती से समानित गीतकार डा विष्णु सक्सेना ने अपना इन पंक्तियों से समां बांध दिया
चांदनी रात में, रंग ले हाथ में
जिंदगी को नया मोड़ दें
तुम हमारी कसम तोड़ दो
हम तुम्हारी कसम तोड़ दें
सुमधुर गीतकार प्रियांशु गजेंद्र के इस गीत पर लोग झूम उठे –
पाँव बेचकर सफ़र ख़रीदे सफ़र बेचकर राहें
जब मैं ख़ुद को बेच चुका तो सबकी पड़ी निगाहें
जीवन कई रंग में रंगा रंगों के व्यापार में,
रात रात भर तुमको गाया सुबह छपे अख़बार में।
लखनऊ की साक्षी तिवारी ने भगवान राम का चरित्र चित्रण बखूबी किया
कठिन होता है कर्मों से निपट निष्काम हो जाना
धनुष और धैर्य दोनो से जग में श्रीराम हो जाना
हास्य कवि दिनेश दिग्गज ने श्रोताओं को अपने इस डिजिटल प्रेम से खूब हंसाया
फूल ताजा ही सजाने में लगता है
बोझ घुंघरू का उठाने में लगता है
सेल्फी लेने में तो टाइम नही लगता
टाइम तो इमेज बनाने में लगता है
कवि सम्मेलन का सफल संचालन करते हुए हास्य कवि पवन आगरी ने बॉलीवुड और पौराणिक संदर्भों से व्यंग्य किया
दुशासन द्रोपदी के सेंडिल की हील हो गया
सारा वातावरण चीर हरण के बजाय कमीज हरण में तब्दील हो गया
कवि शशांक नीरज ने अपने इस मुक्तक से सभी का दिल जीत लिया
शोलों से यारी हो गई अंगार के लिए
सबसे निबाहना ही पड़ा घरबार के लिए
डाकू से साधू बनने की मुश्किल बहुत थी राह
एक शख़्स मारना पड़ा किरदार के लिए
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ गीतकार बीपी सिंह मिलिंद ने समां बांध कि
गर दे न सको खुशी तो ग़म भी न दो।
प्यार ज्यादा नहीं तो कम भी न दो।
गर कर न सको हवा तुम अपने दामन से,
तो मेरे ज़ख्मों को कोई मरहम भी न दो।
अंत में इंक्रेडिबिल इंडिया फाउंडेशन संस्कृति की तरफ से राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबिता सिंह का सम्मान महासचिव अजय शर्मा और कन्वीनर ब्रजेश शर्मा ने किया। इस अवसर पर गजेंद्र सिंह, अतुल प्रताप सिंह, कुलदीप ठाकुर, मुकेश डागुर, निशा चौधरी, अनीता चाहर, संजय बैजल, तिलक सिंह, रितु गोयल, दीक्षा रिसाल आदि मौजूद रहे।