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प्रतिबंधित पालीथिन पर नहीं अंकुश: प्रशासन नें दे दी है खुली छूट?पालिका असहाय


संवाद/ विनोद मिश्रा
बांदा। जिले में प्रतिबंधित पाॅलीथिन और प्लास्टिक का बेखौफ प्रयोग पर प्रशानिक अंकुश नहीं लग पा रहा। यह पालीथीन स्वास्थ के लिए भले ही जानलेवा हों,पर यहां इनका प्रयोग बेरोकटोक हो रहा है।जिला मुख्यालय में प्रति दिन करीब 12 टन प्रतिबंधित पॉलिथीन और प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है। पॉलिथीन के कचरे से शहर के नाले सफाई कराने के बाद भी चोक हो रहे हैं। पालिका की टीम भी असहाय है। चालान करने पर कारोबारी अभद्रता करते हैं।


सब्जी, फल हो या दवा या फिर किराना का सामान, सभी जगह धड़ल्ले से प्रतिबंधित पॉलिथीन का इस्तेमाल है,जबकि सुप्रीम कोर्ट से लेकर शासन तक सिंगल यूज पॉलिथीन को प्रतिबंधित कर दिया है। करीब दो वर्ष पूर्व इस पर रोक लगाई गई थी। पालिका प्रशासन को इस पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे। इसके बावजूद शहर में पाॅलीथिन और प्लास्टिक का उपयोग बेरोकटोक हो रहा है।
नगर पालिका के आंकड़ों की मानें तो नगर में प्रतिदिन करीब 55 टन कचरा निकलता है। इसमें 12 टन सूखा कचरा पॉलिथीन व प्लास्टिक होता है। इस कचरे से शहर के नाले-नालियां चोक हो रहे हैं। इसकी बानगी किसी भी नाले में देखी जा सकती है।


पालिका ने बारिश से पहले सभी नालों की सफाई कराई थी। डेढ़ माह नहीं हुआ और नाले फिर प्लास्टिक और पॉलिथीन के कचरे से चोक हैं। नगर पालिका के अधिकारियों का कहना है कि नगर पालिका की टीम जागरूकता अभियान चलाती है। चालान व जुर्माना करने पर कारोबारी पालिका टीम से मारपीट और अभद्रता करते हैं।