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जश्न ए ईद मिलादुन्नबी क्यों है ख़ास क्या है इसका महत्व जानिए जुलूस ए मुहम्मदी के बारे में और वीडियो देखने के लिए करिए ख़बर क्लिक

आगरा। आज मिलादुन्ननबी है। इस्लाम धर्म के संस्थापक हज़रत मुहम्मद का जन्मदिवस 571 ई. में इस्लाम के तीसरे महीने यानी रबी उल अव्वल की 12वीं तारीख को पैगंबर मोहम्मद साहब का जन्म हुआ था। मुहम्मद शब्द एक अरबी शब्द हमदा से आया है। जिसका अर्थ है प्रशंसा करना, महिमा करना। मक्का में जन्में पैगंबर मुहम्मद साहब का पूरा नाम मुहम्मद इब्न अब्दुल्लाह इब्न अब्दुल मत्तलिब था जबकि उनके पिता का नाम अब्दुल्लाह और मां का नाम बीबी अमिना था।


पैगंबर साहब के जन्म से पहले ही उनके पिता का निधन हो चुका था जब वह 6 वर्ष के थे तो उनकी मां की भी मृत्यु हो गई मां के निधन के बाद पैगंबर मोहम्मद अपने चाचा अबू तालिब और दादा अबू मुतालिब के साथ रहने लगे। सुन्नी मुस्लिम जहां ईद-ए-मिलाद का पर्व रबी के 12वें दिन मनाते हैं वहीं शिया समाज के लोग इस पर्व को रबी के 17वें दिन मनाते हैं। उम्मीद है आज स्वयं को मुस्लिम कहने वाले हज़रत मुहम्मद की इस सीख को अपने जीवन में उतारेंगे मोमिन सब कुछ हो सकता है।

मगर झूठा और विश्वासघात करने वाला नहीं हो सकता। जो व्यक्ति खुद पेटभर खाए और उसके पड़ोस में उसका पड़ोसी भूखा रह जाए, वह ईमान नहीं रखता। जिसने लोगों को दिखाने के लिए नमाज पढ़ी उसने शिर्क किया, जिसने लोगों को दिखाने के लिए रोजा रखा उसने शिर्क किया और जिसने लोगों को दिखाने के लिए खैरात की उसने शिर्क किया।

इस दिन को दुनियांभर में इस्लाम को मानने वाले ईद मिलादुन्नबी के नाम से मनाते हैं। ईद मिलादुन्नबी के मौके पर मुस्लिम मस्जिदों अपने घरों ,प्रतिष्ठानों को रंग बिरंगी लाइटों और हरे झंडों से सजाते हैं। देर शाम घरों में चिराग जलाए जाते हैं। सुबह से ही मुस्लिम इलाकों से जुलूस ए मुहम्मदी निकाला जाता है।

बड़ी संख्या में लोग जुलूस में शामिल होते हैं। हर मुहल्ले से जुलूस ए मुहम्मदी निकाला जाता है जो शहर भर का भ्रमण करते हुए माफी दरगाह कदम रसूल बोदला पर जाकर खत्म होते हैं। सुबह से शुरू होने वाले ये जुलूस देर रात तक जारी रहते हैं। जगह जगह जुलूस का स्वागत किया जाता है। लोग जुलूस में शामिल लोगों के लिए लंगर का इंतज़ाम करते हैं।

सड़कों में जुलूस जाने और आने का सिलसिला दिनभर जारी रहता है। इसी क्रम में मस्जिद ए कुबा कच्ची सराय के इमाम और मस्जिद ए नूरी करीम नगर के इमाम की कयादत में जुलूस ए मुहम्मदी अकीदत के साथ निकाला गया। हाथों में हरे झंडे और नारे लगाते हुए सकड़ों की तादात में लोग जुलुस में शामिल हुए।