नई दिल्ली। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के अर्थशास्त्र विभाग ने दिनांक 14 सितंबर, 2024 को अबू धाबी इस्लामिक बैंक, यूएई में होलसेल बैंकिंग समूह के उत्पाद प्रबंधन के प्रमुख और अर्थशास्त्र विभाग के पूर्व प्रतिष्ठित छात्र इकराम रहमान द्वारा “इस्लामिक बैंकिंग और कैरियर के अवसर” पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया। यह कार्यक्रम चल रहे कॉर्पोरेट व्याख्यान श्रृंखला का हिस्सा था जिसका उद्देश्य उद्योग-अकादमिक संबंधों को बढ़ावा देना, छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान एवं उद्योग की जानकारी प्रदान करना था जिससे उन्हें इस्लामिक बैंकिंग क्षेत्र में सफल कैरियर के लिए तैयार किया जा सके।
सत्र की शुरुआत जामिया मिल्लिया इस्लामिया के अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो अशरफ इलियान के गर्मजोशी भरे स्वागत भाषण से हुई, जिन्होंने अनुभवात्मक शिक्षा के प्रति विभाग की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने इस्लामिक बैंकिंग के अनेक लाभों के बारे में विस्तार से जानकारी दी और इसकी प्रासंगिकता पर रोशनी डाली ।
इकराम रहमान ने इस्लामिक बैंकों में बैंकिंग विनियमन और शरिया अनुपालन की दुविधा के बारे में चर्चा करते हुए अपने व्याख्यान की शुरुआत की। उन्होंने इस्लामिक बैंकिंग के अद्वितीय इक्विटी-आधारित, ब्याज-मुक्त एवं लाभ-हानि साझाकरण ढांचे पर बल दिया तथा वह इस बात को स्मरण करते हुए कि किस प्रकार यह 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान लचीला रहा, जिसका पारंपरिक बैंकों पर गंभीर असर पड़ा। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि यह इस्लामिक बैंकिंग प्रणाली की अनुकूलनशीलता और मजबूती को प्रदर्शित करता है।
रहमान ने न केवल मुस्लिम बहुल देशों में अपितु विश्व भर में इस्लामिक बैंकिंग की अपार वैश्विक क्षमता के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने इस बात पर रोशनी डाली कि किस प्रकार गैर-इस्लामिक देशों में अनेक पारंपरिक बैंक शरिया-अनुपालन उत्पादों तथा कंपनियों में बचत एवं निवेश को आकर्षित करने हेतु इस्लामिक बैंकिंग काउंटर शुरू कर रहे हैं। विगत दो दशकों से इस्लामिक बैंकिंग में सालाना 8% से अधिक की वृद्धि का उल्लेख करते हुए उन्होंने इसके निरंतर विकास के बारे में आशा व्यक्त की।
उन्होंने छात्रों को इस्लामिक बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में रोजगार के अत्यधिक अवसरों के बारे में पता लगाने के लिए प्रोत्साहित किया और साथ ही इस क्षेत्र में दक्षता अर्जित करने के लिए आवश्यक प्रमाणपत्रों और वैश्विक शैक्षणिक संस्थानों के माध्यम से आगे की विशेषज्ञता के अवसरों की रूपरेखा तैयार की।
इस सत्र में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के अर्थशास्त्र, इस्लामिक अध्ययन तथा अंग्रेजी विभाग के 65 से अधिक छात्रों सहित संकाय सदस्यों डॉ. ज़करिया सिद्दीकी, डॉ. नदीम और अकीब ने सक्रिय भागीदारी की। व्याख्यान के उपरांत एक आकर्षक प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित किया गया जिसमें श्रीमान रहमान ने छात्रों के अनेक विचारोत्तेजक प्रश्नों के उत्तर दिए।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के अर्थशास्त्र विभाग के प्लेसमेंट समन्वयक डॉ. मोहम्मद काशिफ खान के कृतज्ञता ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। गौरव चक्रवर्ती एवं मोहम्मद अबुजर ने सत्र के लिए छात्र समन्वयक के रूप में कार्य किया।