उत्तर प्रदेश

शिया सुन्नी एकता मंच ने वक़्फ़ संशोधन बिल का किया विरोध

 

जेपीसी अध्यक्ष जगदम्बिका पाल को पत्र लिख कर जताई आपत्ति

 लखनऊ . केंद्र सरकार द्वारा वक़्फ़ संशोधन बिल 2024 को मुसलमानों के धार्मिक कार्यों में दखल देने का हवाला देते हुए शिया सुन्नी एकता मंच ने बिल पर विरोद जताया है, बिल पर सुनवाई हेतु गठित ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल को पत्र लिख कर शिया सुन्नी एकता मंच ने घोर आपत्ति बताते हुए इसे धार्मिक मामलों में बदलाव का आरोप लगाया

शिया सुन्नी एकता मंच के अध्यक्ष चौधरी सलमान क़ादिर ने अपने वक्तव्य में बताया कि केन्द्र सरकार ने लोक सभा में वक्फ के लिये 40 संशोधन बिल पेश किये हैं। इस सम्बन्ध में चौधरी सलमान क़ादिर ने बताया कि वक्फ को करने वाला व्यक्ति और उसके परिवार को भी संशोधन का अधिकार नहीं है।

कोई भी वक्फ ज्यादातर मुस्लिम समुदाय (शिया-सुन्नी) करते हैं। यह एक धार्मिक चीज़ है और इसको धर्म के लिये प्रयोग किया जाता है। हमारे देश के संविधान ने इसका अधिकार दिया है कि हम अपने धर्म के अनुसार अपने सारे धार्मिक कार्य करें, वक़्त भी इसी के अन्तर्गत आता है।

चौधरी सलमान क़ादिर ने कहा कि वक्फ धार्मिक होता है और इसको धर्म के लिये ही प्रयोग किया जाता है। वक्फ सिर्फ अच्छे कामों के लिये ही होता है। वक्फ करने वाला अपनी निजी और निर्विवाद सम्पत्ति को ही वक्फ करता है। जो कि मुस्लिम समुदाय के धर्म का आंतरिक मामला होता है और किसी भी धर्म की आंतरिक रूपरेखा से छेड़छाड़ नही की जा सकती है

शिया सुन्नी एकता मंच के महासचिव सैयद अली अब्बास ज़ैदी ने जारी बयान में बताया कि वक्फ शियों में खासतौर से अज़ादारिये इमाम हुसैन और दूसरे अच्छे कामों में जैसे-गरीबों की मदद, बीमारों का इलाज, शादी वगैरह के लिये मदद करना होता है।
वक्फ एक खास होता है, जिसके मुतवल्ली सिर्फ परिवार के ही लोग होते हैं या जिसको वाकिफ चुने।
वक्फ बोर्ड इसमें जिसको अच्छा समझे उसको मुतवल्ली बना सकता है लेकिन मुतवल्ली का मुसलमान होना अनिवार्य होता है

सैयद अली अब्बास ज़ैदी ने पत्रकारों से बातचीत में आगे बताया कि वक्फ के बारे में टीवी चैनल्स, मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए एक भ्रांति फैलाने की पुरजोर कोशिश की जा रही जिसमें कहा जा रहा है कि वक्फ बोर्ड जिस भी संपत्ति पर दावा कर देगा वो उसकी हो जाएगी,ये सरासर बेबुनियाद और और कोरी अफवाह है। वक्फ उसी संपत्ति का किया जा सकता है, वाकिफ जिसका मालिक हो और वक्फ बोर्ड उसी संपत्ति पर दावा कर सकता है जो वक्फ की गई हो। ऐसी अफवाह फैला कर नफ़रत फैलाने वाले लोग बहुसंख्यक समाज के बीच वक्फ के बारे गलत धारणा पैदा करना चाहते हैं।
वक्फ बोर्ड किसी की निजी संपत्ति पर दावा नही कर सकता और न ही वक्फ बोर्ड अपनी संपत्ति को बेच सकता है। वाकिफ के वक्फ करने के बाद उसके निधन पर उसके परिवार के लोग भी वक्फ में संशोधन नहीं कर सकते।
वाकिफ के वक्फ करने के बाद उसके निधन पर जो वक्फ डीड में लिखा है उसी पर अमल किया जायेगा।

शिया सुन्नी एकता मंच ने संयुक्त रूप से जानकरी देते हुए कहा कि वक्फ प्रापर्टी को किसी दूसरी जगह स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है।
वक्फ की सम्पत्ति को किराये पर दिया जा सकता है लेकिन वक्फ की वाकफियत बाकी रहे और वक्फ सम्पत्ति बर्बाद न हो।
वक्फ आमतौर से मुसलमान के यहाँ होता है और इसमें संशोधन से मुसलमान को नुकसान पहुंचेगा।

जानकारी देते हुए शिया सुन्नी एकता मंच ने बताया कि भारतवर्ष में हर प्रदेश में शिया व सुन्नी दोनों के हजारों वक़्फ़ हैं। इन 40 संशोधनों से वक्फ, वक्फ नहीं रहेगा और यह लोगों की निजी जायदाद हो जायेगी।

इन प्रमुख बिंदुओं के आधार पर शिया सुन्नी एकता मंच ने वक़्फ़ संशोधन बिल 2024 पर गठित ज्वॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल को पत्र लिख कर केन्द्र सरकार से यह अपील की है कि भारतवर्ष के संविधान को दृष्टिगत रखते हुये मुस्लिम समुदाय (शिया-सुन्नी) को सामने रखते हुये वक्फ ऐक्ट में किसी प्रकार का कोई भी संशोधन न करें। शिया सुन्नी एकता मंच वक्फ संशोधन-2024 का भरपूर विरोध करता है तथा बिल को वापस लेने की माँग करता है