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हरी “धनियां बन गई धन्नो”:लहसुन “पचसौवा”बन इतराया,टमाटर और आलू उछले


संवाद/ विनोद मिश्रा


बांदा। हरी धनिया “धन्नो बन ग्रहकों को लिफ्ट” नहीं मार रही। दस रुपये उसे डसते हैं। दूकान दार “न बाबा न” कहकर ग्राहकों के हाथ जोड़ लेते हैं। लहसुन अब “पच सौवा” बन गया है। टमाटर और आलू नें भी फिर से महंगाई की रोड पर दौड़ लगा दी है।
हालत यह है की बारिश और बाढ़ से सितंबर माह में सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। कई सब्जियों दाम तो दोगुने तक बढ़ गए हैं। आलू 35 रुपये और टमाटर फिर 60 रुपये किलो बिक रहा है ।


इनके तेवर बढ़ते ही सब्जी की खुशबू बढ़ाने वाली धनिया के भाव भी 400 रुपयेऔर लहसुन के दाम 500 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं। हालत ये है कि दुकानदार अब ग्राहकों को 10 रुपये का धनिया भी नहीं दे रहे। बीस रुपये में भी थोड़ा सा धनिया ही मिल पा रहा।वहीं लहसुन के दाम तीन गुना तक बढ़ गए हैं। सब्जी विक्रेता लल्लू ने बताया कि बताया कि नदियों में बाढ़ आ जाने से किनारे लगी बारियां नष्ट हो गई हैं। इससे स्थानीय स्तर पर सब्जियां नहीं मिल रही हैं।


शहर के कालू कुंआ निवासी वंदना गुप्ता ने बताया कि सब्जी महंगी होने से कम खरीद रहे हैं। जिन सब्जियों के दाम कम हैं, उन्हें ही खरीद रहे हैं। इन्द्रा नगर निवासी अंकिता ने बताया कि सब्जियों की महंगाई से रसोई का बजट गड़बड़ा गया है। स्थानीय प्रशासन को इसको लेकर गंभीरता दिखानी चाहिए।