दो से 15 सितंबर तक जनपद में चलाया गया था कुष्ठ रोगी खोजी अभियान
घर-घर जाकर 51.25 लाख की आबादी को स्वास्थ्य विभाग की 4116 टीम ने किया स्क्रीन
आगरा। जनपद में दो से 15 सितंबर तक राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत कुष्ठ रोगी खोजी अभियान चलाया गया था। इस अभियान के तहत 4116 टीम ने घर-घर जाकर नये कुष्ठ मरीजों की खोज की। इसी क्रम में ब्लॉक बिचपुरी के ग्राम देवराठा के 44 वर्षीय निवासी कुंवर सिंह (बदला हुआ नाम) बताते हैं कि कुछ महीने पहले मेरे सीधे हाथ में सुन्न दाग पड़ा था । इसके पश्चात मैंने प्राइवेट डॉक्टर से सुन्न दाग का इलाज शुरू कर दिया था, लगातार इलाज करने पर भी कोई फायदा नहीं हुआ।
मैं अपने गांव में ही परचूनी की दुकान चलाता हूं इसलिए मैंने किसी से भी सुन्न दाग के बारे में चर्चा नहीं की, मुझे डर था कि कहीं लोग मुझे भेदभाव न करने लगे। अभियान से पूर्व मेरे गांव की आशा कार्यकर्ता मेरे घर आई और उन्होंने कुष्ठ रोग के लक्षणों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कुष्ठ के नए मरीज खोजने के लिए टीम आएगी। लक्षणों के आधार पर संभावित व्यक्तियों की स्क्रीनिंग करेगी साथ ही जांच और उपचार में सहयोग करेगी।
कुंवर सिंह बताते हैं कि अभियान के दौरान कुष्ठ रोगियों की जानकारी लेने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम मेरे घर आई तो मैंने टीम को अपने बारे में पूरी सही जानकारी दी। इसके पश्चात सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिचपुरी में मेरी जांच हुई । जांच के उपरांत कुष्ठ रोग की पुष्टि होने पर 17 सितंबर 2024 से मेरा इलाज शुरू हो गया है । चिकित्सक द्वारा मुझे बताया गया कि 6 माह तक मेरा इलाज चलेगा और इलाज के उपरांत मैं पूरी तरह स्वस्थ हो जाऊंगा । चिकित्सक की सलाह के अनुसार मैं नियमित दवा खा रहा हूं। कुष्ठ रोग को छुपाए नहीं बल्कि जांच और उपचार कराकर इसे मुक्त हो सकते हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग की टीम ने घर-घर जाकर कुष्ठ रोगियों की खोज की और लोगों को कुष्ठ रोग के प्रति जागरुक किया। सीएमओ ने बताया कि कुष्ठ रोग का इलाज संभव है, लेकिन समय पर इलाज बहुत जरूरी है। अगर इलाज में देरी होती है तो यह रोग गंभीर रूप ले सकता है और त्वचा, नसों और अंगों को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है।
जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ. सीएल यादव ने बताया कि जनपद के 15 ब्लॉक और शहरी क्षेत्र में अभियान चलाया। गया। अभियान के दौरान विभाग की 4116 टीमों ने घर-घर जाकर कुष्ठ रोगियों की खोज की। अभियान के दौरान जनपद की 51.25 लाख आबादी को कवर किया गया। कुष्ठ रोगी खोजी अभियान में 429 संभावित मरीज मिले जिसमें से 20 नये कुष्ठ मरीजों की पुष्टि हुई। पुष्टि होने के उपरांत सभी का उपचार शुरू कर दिया गया है ।
त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. ध्रुव गोपाल ने बताया कि अगर शरीर पर चमड़ी के रंग से हल्का कोई भी सुन्न दाग धब्बा हो तो कुष्ठ की जांच अवश्य करानी चाहिए । हल्के रंग के व्यक्ति की त्वचा में गहरे और लाल रंग के भी धब्बे हो सकते हैं। हाथ या पैरों की अस्थिरता या झुनझुनी, हाथ पैर व पलकों में कमजोरी, नसों में दर्द, चेहरे या कान में सूजन अथवा घाव और हाथ या पैरों में दर्द रहित घाव भी इसके लक्षण हैं । तुरंत जांच और इलाज से मरीज ठीक हो जाता है और सामान्य जीवन जी सकता है। इसके विपरीत देरी पर कुष्ठ दिव्यांगता का रूप ले सकता है।
डॉ. ध्रुव गोपाल ने बताया कि कुष्ठ सुन्न दाग धब्बों की संख्या जब पांच या पांच से कम होती है और कोई नस प्रभावित नहीं होती या केवल एक नस प्रभावित होती है तो मरीज को पासी बेसिलाई (पीबी) कुष्ठ रोगी कहते हैं जो छह माह के इलाज में ठीक हो जाता है । अगर सुन्न दाग धब्बों की संख्या छह या छह से अधिक हो और दो या दो से अधिक नसें प्रभावित हों तो ऐसे रोगी को मल्टी बेसिलाई (एमबी) कुष्ठ रोगी कहते हैं और इनका इलाज होने पर साल भर का समय लगता है।
कुष्ठ रोगी को छूने और हाथ मिलाने से इस रोग का प्रसार नहीं होता। रोगी से अधिक समय तक अति निकट संपर्क में रहने पर उसके ड्रॉपलेट्स के जरिये ही बीमारी का संक्रमण हो सकता है ।
अभियान पर एक नजर
4116 टीमों ने किया सर्वे
51.25 लाख की आबादी को किया गया कवर
429 संभावित मरीज मिले
20 नये कुष्ठ मरीज मिले