संवाद/विनोद मिश्रा
बांदा। महिला हिंसा, दलित उत्पीड़न, सामाजिक सुरक्षा व शिक्षा क्षेत्र में काम कर रहे चिंगारी संगठन के प्रयासों को देखने व समझने के लिए संगात संस्था गुजरात से आए समाजसेवियों ने महुआ व नरैनी ब्लाक के गांवों में महिला हिंसा व शिक्षा के स्तर को जाना।
जनपद के 90 से ज्यादा गांवों में चिंगारी संगठन काम कर रहा है। संगठन के प्रयासों से कई गांवों में सड़क, पुल, पुलिया निर्माण,सरकारी योजनाओं का सही क्रियान्वयन व शिक्षा केंद्र संचालित हैं। गुजरात की संस्था ने भ्रमण के दूसरे दिन महुआ ब्लाक के राजाराम पुरवा, मसुरी व भग्गू का पुरवा में चिंगारी संगठन गठन की कार्य प्रणाली व प्रयासों को देखा।
ग्रामीणों के प्रयासों से बांस व लकड़ी से बनाए गए शिक्षा सेंटरों का मुआयना किया। संवाद के माध्यम से महिलाओं को स्थिति को समझा।लोकमंच (दिल्ली) की सिस्टर रूबी ने कहा कि दलितों व पीड़ितों की आवाज उठाने के लिए यह ग्रामीणों के द्वारा बनाया गया संगठन है। यह ग्रामीण, जिला व राज्य स्तर तक लोगों के हक व अधिकारों की लड़ाई लड़ रहा है।
गुजरात की संस्था संगात के डायरेक्टर सन्नी भाई ने कहा कि विपरीत परिस्थतियों में चिंगारी संगठन का काम सराहनीय है। विद्याधाम समिति (अतर्रा) के सचिव राजाभइया ने कहा कि चिंगारी अब शोला बन चुकी है। आंदोलनों की बदौलत गांवों में व्यवस्थाएं दुरुस्त हुई हैं।भ्रमण के दौरान गुजरात के रमेश भाई, अबुजी भाई, दिनेश भाई, कांता बेन, लीला, रमिला डोमुर, रमिला बारिया, चक्कू बेन सहित चिंगारी संगठन जिला संयोजिका मुबीना खातून, इमरान अली आदि शामिल थे।