नई दिल्ली। ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ बिल को लेकर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है ।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा, विकास या दक्षता लाने के लिए यह बिल नहीं ला रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह बिल वक्फ बोर्ड को खत्म करने के लिए पेश किया गया है। इसमें लिखा है कि मुसलमान वक्फ कर सकता है। मुसलमान बनने का मतलब क्या है? – क्या वह दिन में 5 बार नमाज़ पढ़ने वाला व्यक्ति होगा, दाढ़ी रखेगा या टोपी रखेगा… क्या उसकी पत्नी मुस्लिम होगी या गैर-मुस्लिम होगी? वे निर्णय लेने वाले कौन होते हैं?
ओवैसी ने दावा किया कि हिंदू धर्म में ऐसा कोई कानून नहीं है…कोई भी वक्फ संपत्ति जो सरकार के पास है उसका निर्णय कलेक्टर द्वारा किया जाएगा। आपको बता दें कि वक्फ (संशोधन) विधेयक की जांच कर रही संसदीय समिति को ईमेल के जरिये 1.2 करोड़ प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई हैं। विभिन्न प्रतिद्वंद्वी समूहों की ओर से इस विधेयक के संबंध में अपने-अपने दृष्टिकोण के प्रति समर्थन जुटाये जाने के बीच ये प्रतिक्रियाएं मिली हैं। संसदीय सूत्रों ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली वक्फ संशोधन विधेयक पर गठित संयुक्त संसदीय समिति को दस्तावेजों के साथ 75,000 प्रतिक्रियाएं मिली हैं जिसमें अपने-अपने दृष्टिकोण का समर्थन किया गया है।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने बुधवार को कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक पर विचार कर रही संसद की संयुक्त समिति जिस तेज गति से काम कर रही है उससे उन्हें उम्मीद है कि इसकी रिपोर्ट तय समयसीमा के भीतर संसद में रख दी जाएगी। रीजीजू ने यहां संवाददाताओं से कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा गया है…एक करोड़ से भी ज्यादा प्रतिवेदन जेपीसी के पास आ चुके हैं। जेपीसी व्यापक रूप से सुनवाई कर रही है। सबको अपनी बातें कहने का मौका दिया जा रहा है। समिति अध्यक्ष और सदस्यो को बधाई देता हूं। हमारे संसदीय इतिहास में इतना गहन और व्यापक विचार-विमर्श कभी नहीं हुआ है।