संवाद/विनोद मिश्रा
चित्रकूट। चित्रकूट में शबरी जल प्रपात नाम में बदलाव को लेकर दो प्रांतों “यूपी एवं एमपी” के लिये विवाद बन गया है।शबरी जल प्रपात का नाम यूपी के इलाके में तुलसी जल प्रपात किये जानें से यहां का आदिवासी बहुत दुखी है। इसके लिये वह योगी सरकार को कोस रहा है! इसे उनकी सवर्णवादी सोच का परिचायक सा महसूस कर रहा है!नाम बदलाव की यह छोटी बात आदिवासियों में बहुत दूर तक चली गई है। उनके धरना प्रदर्शन को ठेंगा दिखा दिया गया! “सामंत वादी विचार धारा” का यह “जल प्रपात शिकार” हो गया है!
आदिवासी मानते हैं की शबरी का प्रभु राम के प्रति जो “भक्त वत्सल प्रेम का प्रपात”था उसको यूपी की “रामभक्त सरकार”नें “अकल्पनीय अनादर” किया है। लगभग दो वर्षों से वह आहत है। उनका प्रदर्शन एवं ज्ञापन योगी सरकार में “नक्कार खानें में तूती की आवाज” बन गई!
चित्रकूट के इस जल प्रपात की खोज करने वाले अखिल भारतीय समाज सेवा के संस्थापक गोपाल भाई कहते है की उन्होंने इस प्रपात की खोज कर इसे “शबरी जल प्रपात” का नाम दिया। यह यूपी एवं एमपी दोनों के क्षेत्र में बंटा हुआ है। मध्य प्रदेश सरकार नें तो बेहतरीन पर्यटन स्थल के रूप में “शबरी नाम से ही इसकी धूनी जमा” दी है। पर यूपी के हिस्से में आने वाले प्रपात का नाम “वन विभाग के सवर्ण वादी सोच के तत्कालीन अफसरों नें “तुलसी जल प्रपात” रख दिया। इसका आधार उन्होंने चित्रकूट के राजपुर में “तुलसीदास के जन्म” को बना दिया। इससे आदिवासियों का हृदय सुसुप्त ज्वालामुखी सा बन अंदर ही अंदर धधक रहा है!