उत्तर प्रदेशजीवन शैली

रेप पीड़िताओं का दर्द बढ़ा रहा स्वास्थ्य विभाग

लेडी लॉयल में ग्रामीण महिलाओं का नहीं हो रहा मेडिकल
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी नहीं है मेडिकल की सुविधा

आगरा। ग्रामीण क्षेत्र की रेप पीड़िता महिला एवं बच्चियों का जिला महिला चिकित्सालय (लेडी लायल) आगरा में मेडिकल नहीं किया जा रहा है। उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर मेडिकल कराने की सलाह दी जा रही है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र जाने पर पीड़िताओं से कहा जाता है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर छेड़छाड़ तथा रेप के मामलों में मेडिकल कराने की व्यवस्था नहीं है। उनके पास मेडिकल का परफॉर्मा नहीं है। उन्हें इस संबंध में कोई प्रशिक्षण भी नहीं दिया गया है। मेडिकल रिपोर्ट के बाद ही न्यायालय में 164 सीआरपीसी के बयान दर्ज होते हैं। मेडिकल न होने पर बयानों में देरी हो जाती है। जिसका अपराधियों को लाभ मिल जाता है। इस संबंध में चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट एवं कोशिश फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष नरेश पारस ने सीएमओ से शिकायत कर समाधान की मांग की है।

पीड़िता लौटाईं
नरेश पारस ने बताया कि 26 सितंबर को एत्मादपुर थाने से एक महिला एवं किशोरी, थाना चित्राहट से एक किशोरी तथा थाना फतेहाबाद थाने से तीन सगी बहनें पुलिस द्वारा जिला महिला चिकित्सालय में मेडिकल परीक्षण कराने लाई गईं थीं। ये सभी रेप पीड़िताएं थीं। इनमें से किसी का भी मेडिकल नहीं किया गया। उन्हें बापस भेज दिया गया। कहा गया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर मेडिकल कराने की व्यवस्था की गई है। इस संबंध में नरेश पारस ने लेडी लायल की अधीक्षिका से मुलाकात कर पीड़िताओं का पक्ष रखा तो उन्होंने कहा कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर रेप पीड़िताओं का मेडिकल कराने की व्यवस्था की गई है।

वह इस संबंध में सीएमओं को पत्र लिखेंगी। पीड़िताओं का सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर मेडिकल नहीं किया गया। फतेहाबाद में तीन सगी बहनों का केवल बाह्य मेडिकल किया गया। उनका आंतरिक मेडिकल नहीं किया गया। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर बात की गई तो बताया गया कि यहां पर केवल दोपहर दो बजे तक ही स्वास्थ्य सेवाएं दी जाती हैं।
महिला चिकित्सकों को मेडिकल का कोई परफार्मां उपलब्ध नहीं कराया गया है। इस संबंध में उन्हें कोई प्रशिक्षण भी नहीं दिया गया है।

पीड़िता सदमे में
नरेश पारस ने बताया कि रेप पीड़िताएं पहले ही सदमे में होती हैं। मेडिकल की भागदौड़ में वह टूट जाती हैं। उनका मनोबल गिरने लगता है। पीड़िताओं की समसयाओं को ध्यान रखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रो पर रेप पीड़िताओं का मेडिकल कराने की व्यवस्था कराने की कृपा करें। इससे पूर्व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की मेडिकल टीम को प्रषिक्षण दिलाया जाए। मेडिकल के परफार्मा उपलब्ध कराए जाएं। दोपहर दो बाद स्वास्थ्य केन्द्र बंद होने पर मेडिकल परीक्षण करने हेतु महिला चिकित्सकों की रोस्टर के अनुसार ड्यूटी लगाई जाए। जिससे रेप पीड़िताओं को परेषानी का सामना न करना पड़े।