महाभारत अपनी व्यापकता के लिए भारतीय संस्कृति का विशेवकोष बताया
महाभारत में बताए राजधर्म पर चले तो स्थापित हो आदर्श राज्य
व्यापकता को समेटे भारतीय संस्कृति का विशेवकोष है महाभारत
आगरा। कृष्णा द्वयपायन वेद व्यास कृत महाभारत का नाम आते ही हमारे मानस पटल पर 18 दिन चलने वाले एक युद्ध के परिदृश्य उभर आता है। महाभारत का विस्तार, उसका महत्व और हमारे जीवन पर उसका प्रभाव युद्ध और उसके इर्दगिर्द चलने वाली कहानी तक सीमित नहीं हैं। महाभारत को उसकी व्यापकता के लिए ही भारतीय संस्कृति को विश्वकोष कहा जाता है। यह महाकव्य है, हमारा अमर इतिहास है, अनेक दर्शन इसमें समाविष्ट है।
लिट आगरा का आयोजन महाभारत पर आधारित विभिन्न सत्रों के साथ होटल जेपी में संपन्न हुआ, जिसमें महाभारत की शिक्षाओं, पात्रों और गीता पर गहन चर्चा की गई। उद्देश्य महाभारत के विभिन्न पहलुओं को आधुनिक दृष्टिकोण से समझना था। कार्यक्रम की शुरुआत सौरभ अग्रवाल और पूजा बंसल द्वारा परिचय से की गई। अपर्णा पोद्धार और ऋतु खण्डेलवाल ने राजधर्म पर अपने विचार साझा किए। अनुपमा और सांची ने पति-पत्नी के धर्म पर व सुधा कपूर और निकी ने यक्ष-युधिष्ठिर संवाद पर चर्चा की। श्रद्धा गर्ग धर्म व्याध गीता पर व्याख्यान दिया। आंचल जैन ने नृत्य प्रस्तुति दी।
वक्ताओं ने कहा कि महाभारत में हमें चारों पुरुषार्थ पर वृस्तृत चर्चा दिखती है। इसीलिए महाभारत को पंचम वेद भी कहा गया है। जीवन का कोई एक भी पहलु ऐसा नहीं है जो धर्म से अछूता हो। मोहित महाजन ने महाभारत के छंदों और उनकी महत्ता पर वक्तव्य दिया। डॉ अनुज ने रश्मिरथी पर व निधि और स्मृति ने कर्ण-अर्जुन के संघर्ष पर चर्चा की। विनीता और श्वेता ने महाभारत पर नए साहित्य का मूल्यांकन किया। कार्यक्रम का समापन सौरभ द्वारा महाभारत से प्राप्त शिक्षाओं के सार के साथ किया गया। संदीप द्वारा लिट आगरा के कार्य कलाप बताये गए। इस अवसर पर मुख्य रूप शिप्रा बंसल, नताशा गोयल, नीलम महरोत्रा, डॉ. सारिक श्रीवास्तव, डॉ. दीपिका गुप्ता, रेनू दत्त आदि उपस्थित थीं।