उत्तर प्रदेशजीवन शैली

जलस्तर में गिरावट थामने को भारत सरकार व्यावहारिक कार्यक्रम बनाये

आगरा। सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा की मांग- तरुण भारत संघ- कराये राजस्थान में बने बंधों के कारण डाउन स्ट्रीम में पानी ना मिलने के कारण जन मानस पर क्या इम्पैक्ट पड़ रहा है. तरुण भारत संघ ने अपने कार्य से राजस्थान के धौलपुर और करौली को पानीदार बना दिया है. लेकिन सरकार ने जो बड़े बांध बनाये हैं, जिनकी वजह से जो पानी आगरा में आता था वो बंद हो गया है।
जलपुरुष ने एक पहल स्कूल , आगरा के बच्चों के साथ “पुनर्जीवित नदी तेवर ” पर लिखी किताब का विमोचन किया।

उन्होंने कहा एक पहल स्कूल , से आये बच्चे उनके और सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा के आगरा को पानीदार बनाने की मुहिम के अहम् हिस्सा हैं. “कैच थेम यंग” और बच्चों को आगरा के पानी प्रबंधन से जोड़ना मील का पत्थर साबित होगा. जलपुरुष ने पंचायत में उपस्थित स्कूल ऑफ़ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर , दिल्ली के छात्रों को राजस्थान में बने बंधों के कारण डाउन स्ट्रीम में पानी ना मिलने के कारण जन मानस पर क्या इम्पैक्ट पड़ रहा है उसपर सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा के साथ पर कार्य करने का अवाहन किया .

हरनाल एस्केप से मिलने वाले 150 क्यूसेक गंगाजल का सदुपयोग सुनिश्चित हो

राष्ट्रीय पानी की पंचायत में जल शक्ति मंत्रालय से मांग की गई कि मोदी सरकार के घर घर पानी और खेती को भरपूर पानी के महत्वपूर्ण और आधारभूत लक्ष्यों को पूरा करने के लिये प्रभावी और व्यावहारिक कार्यक्रम बनाया जाये। नमामि गंगे जैसे कार्यक्रम को शुरू हुए कई वित्तीय वर्ष बीत चुके हैं किंतु उपयोगी जलसंचय संरचनाओं के निर्माण और सुध्रढी करण जैसे पर्याप्त कार्य नहीं हो सके। तरुण भारत संघ के 50वें स्थापना वर्ष के अवसर पर नई दिल्ली स्थित ‘गांधी पीस फाऊंडेशन ‘ के सभागार में सोमवार 30 सितम्बर को 50वें स्थापना वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित नेशनल कांफ्रेंस देश के अधिकांश राज्यों जल संकट से जूझने वाले जनपदों व केंद्रीय एजेंसियों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में जल प्रबंधन की मौजूदा स्थिति पर खुलकर चर्चा के दौरान सकारात्मक दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति करने वाले अनेक सुझाव प्रस्तुत किये गये।

–दिशाहीनता और कुप्रबंधन

उ प्र के प्रतिनिधिमंडल के तहत कांफ्रेंस में भागीदारी करते हुए जल संकट से जूझ रहे समस्याग्रस्त जनपद आगरा से पहुंचे प्रतिनिधि मंडल की ओर से वक्ताओं ने कहा कि दिशा हीनता और कुप्रबंधन के कारण जल समस्या और अधिक बढ़ी है।
नमामि गंगे कार्यक्रम के लागू होने से कहीं पूर्व यमुना जल के प्रदूषण को कम कर मथुरा और आगरा वासियों के लेये जलकलों में शोधन उपयुक्त बनाये जाने के लिए अपर गंगा कैनाल की मांठ शाखा के हरनाल एस्केप से 150 क्यूसेक गंगाजल उपलब्ध करवाया जाना शुरू हुआ। लेकिन अब यह गंगाजल यमुना में प्रदूषण करने के लिये उपयोग में नहीं लिया जा रहा है। इस जलराशि का उपयोग मथुरा जनपद में क्रूज तैराने के लिये नदी का जलस्तर बनाये जाने को हो रहा है।

गोकुल बैराज से 1200 क्यूसेक डिस्चार्ज सुनिश्चित हो

गोकुल बैराज से डाउनस्ट्रीम में न्यूनतम 1200 क्यूसेक ( 1200 cusec) पानी का डिस्चार्ज करना आवश्यक होता है किंतु मानसून काल के महीनो के अलावा बैराज गेट तभी आपरेट किये जाते हैं,जबकि क्रूज आप्रेशन के लिये नदी में जलस्तर पर्याप्त हो जाता है।अत्यधिक प्रदूषण हो जाने के फलस्वरूप जलकल की आगरा में शोधन इकाइयों ने काम करना ही बंद कर दिया है।


वर्तमान में मथुरा तो पूरी तरह से गंगाजल पाइप लाइन से मिलने वाले पानी पर निर्भर है,जबकि आगरा पानी की बेहद किल्लत से जूझ रहा है। दरअसल 150 क्यूसेक गंगाजल पाइप लाइन की योजना के तहत 140 क्यूसेक गंगाजल आगरा को मिलना था।इसे शोधित यमुना जल के साथ मिलाकर महानगर को जलापूर्ति की जानी थी। लेकिन गोकुल बैराज से डिस्चार्ज बंद प्राय कर दिये जाने के बाद से यमुना जल शोधन बंद हो गया है। केवल गंगाजल से ही महानगर को जलापूर्ति हो रही है,जो कि वास्तविक जरूरत से कही अपर्याप्त है।

–विरासत सूची के तेरह मोरी बांध की दुर्दशा

प्रतिनिधि मंडल के द्वारा खारी नदी में पानी पहुंचना बंद हो जाने को जनपद का जलस्तर गिरते जाने का मुख्य कारण बताया गया। राजस्थान से आने वाले मानसून कालीन पानी को तेरह मोरी बांध पर संग्रहित कर डाउनस्ट्रीम के लिये रेग्युलेट किया जाता है।लेकिन अब पूरा बांध स्ट्रक्चर नान फंक्शनल है।आगरा जनपद की यह सबसे बडी जलसंचय संरचना सबसे और वायडक्ट ( Viaduct across the road leading to Bharatpur) के रूप में हेरिटेज सूची में दर्ज विरासत है।

–नये वेटलैंड की घोषणा पर लगे पाबंदी

आगरा की अरे से बोलने वाले वक्ताओं ने कहा कि भूजल की स्थिति में सुधार लाये जाने को दृष्टिगत नेशनल कैपिटल जोन आगरा में अब कोई भी नया वेटलैंड नहीं बनाया जाना चाहिये। जहां जहां भी पानी संचित रखना संभव हो वहां जलसंचय संरचना के रूप में उसे संजोया जाये।क्योकि नमः क्षेत्र प्रबंधन में गाद निकाल पाना और जल संचय क्षमता की पुनर्स्थापना बहुत ही पेचीदगी भीरी हो जाती है।और वे जलस्तर में सुधार के सर्वथा अनुपयुक्त हो जाती हैं।
प्रतिनिधिमंडल के वक्ताओं ने कहा कि जल संरचनाओं के संरक्षण और जल प्रबंधन के कार्यक्रमों में नागरिक सहभागिता के कार्यक्रम सामाजिक संगठनो और बौद्धिक वर्ग को भी जोड़ा जाए, उप में अब तक नमामि गंगे कार्यक्रम से अधिकांश में जनसहभागिता अगर हुई भी होगी तो केवल कागजी तौर पर।

आगरा के प्रतिनिधियों की ओर से श्री अनिल शर्मा के द्वारा जलपुरुष राजेन्द्र सिंह को बधाई दी गयी और उम्मीद जताई गई कि तरुण भारत की सक्रियता आने वाले समय में और बढेगी। श्री शर्मा ने उटंगन नदी पर रेहावली गांव में बांध बनाए जाने और जगनेर स्थित बंधियों में पहुंचने वाली विशाल जल राशि को व्यवस्थित तरीके से सहेजने के लिये जलपुरुष द्वारा उ प्र से संवाद शुरू करवाने के प्रयास करने का अनुरोध किया।

सुझाव बनेंगे भविष्य के संवाद का आधार

उल्लेखनीय है कि तरुण भारत संघ अपने ने अपने अध्यक्ष जलपुरुष राजेन्द्र सिंह के नेतृत्व में संगठन की स्थापना के 50वें वर्ष के उपलक्ष्य देशभर के पानी पर काम करने वाले लोगों के अनुभवों के साथ अपनी भावी कार्य योजना और कार्य नीति बनाने के लिये 2023-24 में राष्ट्रीय स्तर पर पंचयात कार्यक्रम आयोजित किये थे।इनमें से दो पानी की पंचायतों आगरा में हुई थीं। मुख्य आयोजन 30 सितंबर 2024 को, गांधी शांति प्रतिष्ठान, दीनदयाल उपाध्याय मार्ग, नई दिल्ली में हुआ।कई सत्रों के इस कार्यक्रम में सामाजिक संगठनों के अलावा बडी संख्या में विषयषज्ञें की भागीदारी रही।
पानी पंचायत में अनेक विषय वक्ताओं के द्वारा रखे गये किंतु इनमें ‘बाढ़ और सुखाड़ की मुक्ति की युक्ति खोजने के लिए किए गए उपायों पर चर्चा ए खास तौर पर केन्द्रित रही। सरपंच के रूप में श्री राजेन्द्र सिंह ने कहा कि पानी पंचायत में दी गई सभी की सलाह को तरुण भारत संघ पालन करेगा और अंतिम रूप देकर भारत सरकार को भी प्रस्तुत करेगा।

आगरा का प्रतिनिध्व- सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा के नेत्रेत्र्व में डेलीगेशन में –

एक पहल स्कूल- विशाल, सोनम कुमारी, अंकिता, अन्नू , सुहानी , लोकेश, प्रिंस कुमार, माधवी वर्मा, नैंसी सोनी, पूजा, हेमंत, करिश्मा, रुद्राक्ष, तुषार , कल्पना – स्टूडेंट और टीचर- नविन कुमार और अंकुर कंसल.सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा अनिल शर्मा, राजीव सक्सेना, असलम सलीमी और कांति नेगी,पानी एक्टिविस्ट – अजय तोमर, राम भरत उपाध्याय और हिमानी चतुर्वेदी रहे।