संवाद। सादिक जलाल(8800785167)
पिछले दो वर्षों से बिस्तर तक सिमटी महिला को मिनीमली इनवेसिव सर्जरी (एमआईएस) ने बनाया चलने-फिरने में सक्षम
नई दिल्ली,: सीके बिरला हॉस्पीटल®, दिल्ली में मात्र 23 किलोग्राम वज़न की 65 वर्षीय महिला की लो-वेट बाइलेटरल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी को सफलतापूर्वक किया गया। देश में वह इतने कम वजन की पहली ऐसी महिला हैं जिनकी इतनी जटिल किस्म की सर्जरी की गई है। मरीज गंभीर आर्थराईटिस के कारण पिछले दो वर्षों से बिस्तर पर थीं, और अब सर्जरी के बाद वह दोबारा चलने-फिरने में सक्षम हो गई हैं। अस्पताल के अनुभवी और समर्पित डॉक्टरों की टीम ने डॉ अश्विनी मायचंद, डायरेक्टर ऑफ आर्थोपेडिक, सीके बिरला हॉस्पीटल®, दिल्ली के नेतृत्व में यह सर्जरी की।
पिछले दो वर्षों से मरीज शुभांगी देवी दोनों कूल्हों में तेज दर्द की समस्या से पीड़ित थीं जो कि उम्र बढ़ने की वजह से आर्थराइटिस के कारण था। वह व्हीलचेयर के सहारे ही चलती-फिरती थीं। इस बीच, उनकी हालत और बिगड़ गई जिसने उनका इलाज कर रही मेडिकल टीम के लिए भी काफी चुनौतियां बढ़ा दी थीं। सबसे बड़ा रिस्क सर्जरी के दौरान बोन फ्रैक्चर का था क्योंकि उनकी हड्डियां काफी कमजोर हो गई थीं और वह कैल्शियम की कमी तथा ऑस्टियोपोरोसिस से भी जूझ रही थीं। इतना ही नहीं, उनकी हड्डियों का आकार भी कम था जिसकी वजह से इंप्लांट का प्लेसमेंट करना काफी मुश्किल काम था। लेकिन मरीज की नाजुक हालत और अत्यधिक कम वजन के बावजूद, जो कि आमतौर पर शिशुओं का होता है, मेडिकल टीम ने उनके इलाज के लिए सर्वोत्तम विकल्प के रूप में मिनीमली इन्वेसिव सर्जरी (एमआईएस) को चुना।
मिनीमली इनवेसिव सर्जरी (एमआईएस) में छोटे आकार के चीरे लगाए जाते हैं और ऐसी एडवांस तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है जिससे कम से कम टिश्यू डैमेज होते हैं, यानी मरीज को ऑपरेशन के बाद कम तकलीफ होती है, रिकवरी भी तेजी से होती है तथा वे कम समय में अपने नॉर्मल रूटीन में लौट पाते हैं। इस मामले में, मरीज की दो सर्जरी की गई – पहली सर्जरी दाएं कूल्हे पर और दूसरी बाएं कूल्हे पर की गई – दोनों को ही बेहद सावधानीपूर्वक प्लानिंग की गई थी और करीब एक घंटे में इन्हें पूरा किया गया। मरीज की अधिक उम्र को देखते हुए, एनेस्थीसिया के इस्तेमाल को लेकर भी ज्यादा रिस्क था, लेकिन मेडिकल टीम ने ऐसी सभी चुनौतियों से कुशलतापूर्वक निपटा। सर्जरी के बाद मरीज की रिकवरी बिना किसी जटिलता के सामान्य तरीके से हो रही है। सर्जरी के बाद अगले ही दिन वह वॉकर की मदद से चलने लगी थीं और छह दिन बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी मिल गई। इस सर्जरी ने उनकी अधिक उम्र के चलते कूल्हों में पैदा हुए आर्थराइटिस का सफल इलाज किया, मरीज इसके अलावा अन्य किसी रोग से पीड़ित नहीं थीं और न ही उनके परिवार में ऐसी किसी कंडीशन की कोई हिस्ट्री थी।
डॉ अश्विनी मायचंद, डायरेक्टर ऑफ आर्थोपेडिक्स, सी के बिरला हॉस्पीटल®, दिल्ली ने इस बारे में और जानकारी देते हुए बताया, “यह केस इस वजह से काफी अलग और चुनौतीपूर्ण था कि मरीज का वजन बेहद कम था, जिसके चलते उनकी डुअल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी अत्यंत दुर्लभ हो गई। सबसे प्रमुख चुनौती उनकी ऑस्टियोपोरोसिस से ग्रस्त हड्डियों में फ्रैक्चर को लेकर थी क्योंकि ये हड्डियां काफी नाजुक और आकार में छोटी थीं। हमने काफी सावधानीपूर्वक सर्जरी की तैयारी की और बिना किसी जटिलता के सफलतापूर्वक इसे अंजाम दिया। यह उपलब्धि हमारी टीम की क्षमता और हमारे अस्पताल में मरीजों के लिए उपलब्ध एडवांस केयर का सबूत है। ऐसे मरीजों की ऑपरेशन के बाद देखभाल भी काफी महत्वपूर्ण होती है। रेगुलर फॉलो-अप के अलावा उचित डाइट, और फिजियोथेरेपी उनके इंप्लांट्स की लंबी उम्र तथा मरीज के स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हैं। हम शुभांगी देवी की पूर्ण रिकवरी और आगे चलकर दर्द-मुक्त तथा आत्मनिर्भर जीवन को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं।”
भारत में हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी अब काफी तेजी से आम होती जा रही हैं, आर्थराइटिस के बढ़ते मामलों और बुजुर्ग आबादी के मद्देनज़र, देश में हर साल करीब 50,000 से अधिक ऐसी सर्जरी की जा रही हैं। लेकिन तमाम प्रगति के बावजूद, आज भी ग्रामीण इलाकों की पहुंच इस प्रकार की सुविधाओं तक काफी सीमित है। सीके बिरला हॉस्पीटल® सभी मरीजों के लिए एडवांस सर्जिकल केयर और बेहतर नतीजे प्रदान कर इस दूरी को कम करने की दिशा में प्रयत्नशील है। इस प्रकार की सफल सर्जरी यह संदेश देती है कि गंभीर आर्थराइटिस से पीड़ित बुजुर्ग मरीजों के लिए समय पर मेडिकल इंटरवेंशन काफी महत्वपूर्ण है। यदि ऐसे में इलाज नहीं किया जाए, तो कंडीशन बिगड़कर और भी कई जटिलताओं जैसे ऑस्टियोपोरोसिस, बेडसोर और इंफेक्शन आदि का कारण बन सकती है।