उत्तर प्रदेशजीवन शैली

शारदीय नवरात्रि का पहला दिन आज जानिए मां के 9 स्वरूपों के बारे में करिए ख़बर क्लिक

आगरा। पंचांग के अनुसार, अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि 2 अक्टूबर को देर रात 12 बजकर 18 मिनट से 4 अक्टूबर को तड़के 2 बजकर 58 मिनट तक है. उदयातिथि के आधार अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि 3 अक्टूबर को है. ऐसे में नवरात्रि का पहला दिन 3 अक्टूबर गुरुवार को है. इस दिन कलश स्थापना होगी

किस दिन किसकी पूजा

3 अक्टूबर को प्रतिपदा पर माता शैलपुत्री

4 अक्टूबर को द्वितीया पर ब्रह्मचारिणी

5 अक्टूबर को तृतीया पर चंद्रघंटा का पूजन

6 व 7 अक्टूबर को चतुर्थी पर माता कुष्मांडा का पूजन

8 अक्टूबर को पंचमी तिथि पर स्कंदमाता का पूजन

9 अक्टूबर को षष्ठी तिथि पर मां कात्यायनी का पूजन

10 अक्टूबर को सप्तमी तिथि पर माता कालरात्रि का पूजन

11 अक्टूबर को अष्टमी और नवमी दोनों पर माता महागौरी व सिद्धिदात्री का पूजन किया जाएगा।

जानिए मां दुर्गा के 9 स्वरूपों के बारे में

शैलपुत्रीः पर्वतराज हिमालय की पुत्री, देवी शैलपुत्री नवरात्रि के पहले दिन पूजी जाती हैं। इनको सफेद रंग बहुत प्रिय है और मां शांति और पवित्रता का प्रतीक हैं।
ब्रह्मचारिणीः देवी ब्रह्मचारिणी तपस्या और साधना की देवी हैं। इस दिन पीले रंग का महत्व है, देवी सुख और समृद्धि देने वाली हैं।
चंद्रघंटाः देवी चंद्रघंटा शांति और साहस की देवी मानी जाती हैं। तीसरे दिन के लिए हरा रंग शुभ माना जाता है।
कुष्मांडा: देवी कुष्मांडा ब्रह्मांड को रचने वाली देवी मानी गईं हैं। इस दिन का रंग नारंगी है, जो ऊर्जा और उत्साह का प्रतीक होता है।
स्कंदमाताः देवी भगवान कार्तिकेय की माता, शांति और भक्ति की देवी मानी जाती हैं। यह दिन सफेद रंग को समर्पित है।
कात्यायनीः देवी कात्यायनी शक्ति और साहस की प्रतीक हैं। छठे दिन के लिए लाल रंग शुभ माना जाता है।
कालरात्रिः देवी कालरात्रि बुराई का नाश करने वाली देवी मानी जाती हैं। इस दिन का रंग नीला है, जो शत्रुओं का नाश करने का प्रतीक है।
महागौरीः देवी महागौरी पवित्रता और शांति की देवी हैं। इस दिन का रंग गुलाबी है, जो प्रेम और भक्ति का प्रतीक है।
सिद्धिदात्रीः देवी सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी मानी जाती हैं। नवमी के दिन बैंगनी रंग को शुभ माना जाता है।

पूजा की विधि
नवरात्रि की शुरुआत में घर या मंदिर में कलश स्थापना करें। मां दुर्गा का आह्वान करें और उनको धूप, दीप, अक्षत, पुष्प और प्रसाद अर्पित करें। नारियल, शृंगार और चुनरी मां को अत्यंत प्रिय है, उन्हें अर्पित करें। दुर्गा सप्तशती, देवी महात्म्य, और गायत्री चालीसा का पाठ करें।

पूजा का मंत्र

सर्वमंगला मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोअस्तु ते॥
ब्रह्मरूपे सदानंदे परमानंद स्वरूपिणी।
द्रुत सिद्धिप्रदे देवि नारायणी नमोअस्तु ते
शरणागतदिनर्तपरितानपरायणे।
सर्वस्यार्तिहारे देवी नारायणी नमोअस्तु ते
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः
आवाहनं समर्पयामि॥”