महाराजा अग्रसेन सेवा समिति व श्रीअग्रवाल संघ ट्रस्ट द्वारा महाराजा अग्रसेन भवन लोहामंडी में आयोजित की गई श्रीअग्रसेन कथा, कथा वाचक श्री उज्ज्वल जी ने समझाया भागवत का महत्व
आगरा। माता महालक्ष्मी प्रसन्न कर वरदान प्राप्त करने वाले भगवान अग्रसेन की कथा सुनने से संतोष व वैभव की प्राप्ति होती है। अग्र भागवत ही ऐसा जीवनात्मक ग्रंथ है जिससे सम्पन्नता, यश, प्रगति, उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। भगवान अग्रसेन की नियमित रूप से पूजा करनी चाहिए। सभी कष्टों को दूर करने वाले अग्रमहामंत्र का पाठ हर रोज करना चाहे। महाराजा अग्रसेन सेवा सदन लोहामंडी में महाराजा अग्रसेन सेवा समिति व श्रीअग्रवाल संघ ट्रस्ट द्वारा श्रीअग्रकथा का आयोजन किया गया।
जिसमें कथा वाचक श्रीउज्ज्वल जी र.अग्रवाल ने भगवान अग्रसेन के जन्म से लेकर राज्याभिषेक, अग्र माधवी विवाह व चुनरी उत्सव के बारे में बताया। कहा कि अग्रसेन जी की कथा अकथनीय है। अग्रसेन जी के चरित्र को समझना हो तो श्रीअग्र भागवत शब्द का विश्लेषण कर लीजिए, जो सात अक्षरों से बना है। सप्ताह में सात दिन, इंद्र धनुष के रंग सात, धरती की और हमारी त्वचा की परतें सात होती हैं, विवाह में फेरे सात, संगीत की सुर सात, सप्त चिंरंजीवी, सप्त ऋषि होते हैं। इसलिए श्रीअग्र भागवत शब्द अपने आप में विशेष महत्व रखता है।
श्री का अर्थ श्रम, अ से अर्थ, ग से ग्रहण, भ से भाग्य, ग गहन, व से व्रत और त से तपस्ता। अर्थात श्रम पूर्वक अर्थ ग्रहण, भाग्यवत गहन व्रत, तपस्या करने वाले भगवान अग्रसेन का गुणगान करना ही अग्र भागवत है। कार्यक्रम में मौजूद कमिश्नर रितू माहेश्वरी, डीआईजी केशव चौधरी व आईपीएस अभिषेक अग्रवाल को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मुख्य रूप से समिति के महासचिव डॉ. बीडी अग्रवाल, अध्यक्ष मोहनलाल अग्रवाल, कोषाध्यक्ष घनश्याम दास अग्रवाल, श्रीअग्रवाल संघ ट्रस्ट के अध्यक्ष मुकुल गर्ग, अनुराग मित्तल, नितिन जैन, आशीष गर्ग, अम्बरीष अग्रवाल, राजीव अग्रवाल, पूनम अग्रवाल, पिंकी सिंघल, डिम्पल, दीपा गर्ग आदि उपस्थित थीं।
सिर्फ तीर्थ नहीं घर में भी पूजा पाठ करें
आगरा। हम काशी वृन्दावन सब हो आते हैं, पर घर के आंगन की तुलसी प्यासी रहती है…, इस कथन के साथ श्रीउज्ज्वल जी ने श्रद्धालुओं को तीर्थ करने के साथ अपने घर आंगन में भी पूजा पाठ करने के लिए प्रेरित किया। कथा में महाभारत युद्ध में योगदान, माता महालक्ष्मी की तपस्या, अग्रोहा राज्य का निर्माण, नागों से युद्ध, इंद्र पर विजय, समाजवाद की स्थापना जैसी प्रसंगों का भक्तिमय वर्णन किया।
कथा से पूर्व निकली कलश यात्रा
आगरा। कथा प्रारम्भ होने से पूर्व जयपुर हाउस स्तित आर्य समाज मंदिर से महाराजा अग्रसेन भवन लोहामंडी तक बैंड बाजों के साथ भव्य कलश यात्रा का आयोजन किया गया। जिसमें महिलाओं ने सज धज कर सिर पर कलश लेकर खूब नृत्य भी किया। कथा स्थल पर कलश स्थापना व भगवान ग्रसेन की आरती के उपरान्त कथा प्रारम्भ हुई। कता स्थल पर कोलकाता विश्वविख्यात सजीव झांकियां भी सजाई गईं, जिन्हें श्रद्धालुओं द्वारा खूब सराहा गया। कुछ लोगों ने झांकियों संग सेल्फी भी खिंचवाई।