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गणित को बना देगा मैजिक, वैदिक गणित

‘घर का जोगी जोगड़ा, आन गांव का सिद्ध’ इसका तात्पर्य यह है कि अपने घर या देश का कोई व्यक्ति चाहे कितना ही योग्य और सिद्धि प्राप्त क्यों न हो उसको उतना सम्मान नहीं दिया जाता जितना किसी दूसरे घर या देश के एक मामूली से व्यक्ति को प्राप्त हो जाता है । दूसरों को तो हमारी संस्कृति से ईष्या और जलन थी ही लेकिन हमने खुद ने भी अपनी महानता को नहीं पहचाना। आज विदेशी लोग तो हमारे वैदिक गणित को अपना रहे हैं। लेकिन हमारे देश के कई लोग भारत वर्ष और सनातन को बदनाम करने का बीड़ा उठा रहे हैं। तो हमारा भी उत्तरदायित्व बनता है कि हम अपनी महान विरासत को पहचान उसे अपने जीवन में शामिल करें।

गणित उन विषयों में से एक है जिसे समझने और सराहने में अधिकांश शिक्षार्थी संघर्ष करते हैं। हालाँकि, क्या होगा यदि गणित सीखने का कोई आसान और तेज़ तरीका हो? स्कूल में गणित के इस ज्य़ोमैट्री के चैप्टर ने हमारे दिमाग को बहुत टॉर्चर किया है। लेकिन ये टॉर्चर नहीं होता अगर हमें वैदिक तरीके से गमित सिखाया जाता। वैदिक काल में गुरु अपने शिष्य को इतने प्रैक्टिकल ढंग से गणित और भूमति के नियम सिखाते थे कि विद्यार्थी दैनिक कार्य करते करते ही ज्योमैट्री सिख जाते थे। अगर वैदिककालिन ज्योमैट्री अच्छी थी तो फिर हमें ये रट्टा लगाने वाली शिक्षा पद्दति में पायथागोरोस के प्रमेय और यूक्लिर के सिद्धांत क्यों सिखाए जाते हैं। क्यों भारतीय गणितज्ञ का नाम मात्र भी हमारे पुस्तकों में नहीं देखने मिलता।

वैदिक गणित की उत्पत्ति कहां से हुई

‘यथा शिखा मयूराणां नागानां मणयो यथा, तद्वद् वेदांगशास्त्राणां गणितं मूर्ध्नि स्थितम्’ का अर्थ है कि जिस तरह मोरों की शिखा और नागों के सिर पर मणि का स्थान सबसे ऊपर होता है, उसी तरह सभी वेदांग और शास्त्रों में गणित यानी ज्योतिष का स्थान सबसे ऊपर होता है। दूसरा श्लोक युक्तियुक्तं वाचो ग्राह्यं बलादपि शुकाादपि। अयुक्तमपि न गृह्यं साक्षादापि वृहस्पते यानी अगर कुछ तर्कसंगत और उचित सलाह है यदि कोई बच्चा या कोई बात करने वाला तोता भी आपको कोई सलाह दे, तो उसे गंभीरता से लेना चाहिए और उस पर ध्यान देना चाहिए, जबकि यदि कोई तर्कहीन बात आपको बताई जाए, तो उसे स्वीकार नहीं करना चाहिए। वैदिक शब्द संस्कृत शब्द वेद से लिया गया है, जिसका अर्थ है ज्ञान। वैदिक गणित की जड़ें प्राचीन भारतीय ग्रंथों में पाई जाती हैं जिन्हें वेदों के नाम से जाना जाता है। वैदिक गणित का वर्णन भारत के वैदिक इतिहास से किया गया है जिसे वेदों की पवित्र पुस्तकों से निकाला गया है। यह पारंपरिक तरीकों की तुलना में कुछ ही समय में कठिन गणितीय समस्याओं के समाधान प्राप्त करने के लिए आसान प्रक्रियाओं और एल्गोरिदम, या “सूत्रों” का उपयोग करता है। यह अत्यधिक विकसित प्रणाली गणितीय समस्याओं के सभी स्तरों को पूरा कर सकती है, सबसे सरल से लेकर सबसे जटिल तक, जो इसे गणितज्ञ के लिए सर्वव्यापी बनाती है। ये हजारों साल पुराने हैं। स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ ने 20वीं सदी की शुरुआत में इस प्रणाली की फिर से खोज की और इन गणितीय सिद्धांतों को अपनी पुस्तक वैदिक गणित में दर्ज किया।