श्रीमनःकामेश्वर बाल विद्यालय, दिगनेर में चल रही है श्रीराम लीला
नवम दिन लीला में हुआ लंका दहन, विभिषण शरणागति, सेतु बंध, रामेश्वर स्थापना और अंगद रावण संवाद
आगरा। जिनके लेशमात्र बल से हे रावण तुमने समस्त चराचर जगत हो जीत लिया और जिनकी प्रिय पत्नी को तुम हर लाये हो, मैं उन्हीं का दूत हूं…अतुलित बदलधामं श्रीहनुमान जी ने जब ये वचन रावण से कहे तो दर्शकदीर्घा से एक ही गूंज उठी जय श्रीराम, जय श्रीराम…।
शुक्रवार को गढ़ी ईश्वरा, दिगनेर स्थित श्रीमनः कामेश्वर बाल विद्यालय में चल रही श्रीमनःकामेश्वरनाथ रामलीला के नवम दिन भरत मिलाप, सीता हरण, सुग्रीव मित्रता, बलि वध, लंका दहन, विभिषण शरणागति, सेतु बंध, रामेश्वर की स्थापना प्रसंग हुए। भारी संख्या में भक्त लंका दहन प्रसंग देखने के लिए पहुंचे। रावण जब हनुमान जी की पूंछ में आग लगा देता है तो हनुमान जी रावण की सोने की लंका को जलाकर उसका अहंकार तोड़ देते हैं। यह दृश्य देखकर आयोजन स्थल पर उपस्थित लोग श्रीराम एवं हनुमान जी के जयकारे लगाते हैं। श्रीकिशाेरी रास लीला एवं राम लीला संस्थान के गोविंद मिश्र ने बताया कि जब राम रामजी की सेना समुंद्र के किनारे पहुंच जाती है तो प्रभु श्रीराम हनुमान जी को रावण को अंतिम चेतावनी व सीता जी का हाल जानने के लिए भेजते हैं। लंका में सीता जी से भेंट, रावण से संवाद और लंका दहन के सजीव से प्रसंग मंचित हुए। इससे पूर्व भरत मिलाप का भावुक दृश्य देख उपस्थित जन द्रवित हो उठे। सीता हरण प्रसंग में मां सीता की कद्रन पुकार ने सभी को स्तब्ध सा कर दिया। सुग्रीव मित्रता एवं बालि वध के बाद लंका दहन का प्रसंग हुआ। तत्पश्चात श्रीराम द्वारा सेतुबंध रामेश्वरम की स्थापना जब की गयी तो हर हर महादेव के जयघाेष लगने लगे।
श्रीमहंत योगेश पुरी ने कहा कि श्री राम ने नौ दिन की कड़ी शक्ति उपासना की और नौवे दिन मां दुर्गा प्रकट हुईं और विजयश्री का वरदान राम को दिया। अगले दिन यानी दशमी को मां के आशीर्वाद से राम ने रावण का वध किया और अधर्म पर धर्म की ध्वजा फहराई गई। मां सीता के अपमान करने वाले का कुल श्रीराम ने वंश सहित खत्म कर दिया। मठ प्रशासक हरिहर पुरी ने बताया कि शनिवार को लक्ष्मण शक्ति, रावण, कुंभकर्ण, मेघनाद का वध लीला प्रसंग होंगे।