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मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने दशहरे पर युद्ध और विभाजन के खिलाफ शांति का आह्वान किया

नई दिल्ली। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) ने दशहरे के पावन अवसर पर अपनी 15 सदस्यीय राष्ट्रीय संयोजक मंडल की ऑनलाइन बैठक का आयोजन किया, जिसमें कई अहम फैसले लिए गए और विश्व शांति और सौहार्द का संदेश दिया गया। इस बैठक में देश और दुनिया में शांति, समावेशिता, और पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया गया। मंच के राष्ट्रीय संयोजक और मीडिया प्रभारी शाहिद सईद ने बताया कि यह अवसर हमें सत्य, धर्म, और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है और हमें युद्ध और विभाजन के खिलाफ एकजुट होकर मानवता की रक्षा के लिए काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आज संपूर्ण संसार के लोगों को अपने अंदर के रावण को मारना जरूरी है।

शाहिद सईद ने कहा कि विश्व के सभी धर्मों ने शांति, प्रेम और अहिंसा का संदेश दिया है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने सनातन धर्म में अहिंसा का पाठ पढ़ाया, तो इस्लाम में पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब ने शांति और सद्भावना का पैगाम दिया। गुरुनानक की गुरुवाणी, महात्मा बुद्ध, जैन मुनियों और निरंकारी समाज ने भी मानवता और प्रेम की बात कही है। ईसा मसीह ने भी अमन और शांति का मार्ग अपनाया। लेकिन सवाल यह है कि जब सभी धर्म और समुदाय एकता और सौहार्द का संदेश देते हैं, तो हम अपने अंदर के “शैतान” को क्यों नहीं हरा पाते? हम मानवता और ईश्वर की बनाई दुनिया के साथ खिलवाड़ कब तक करते रहेंगे?

शांति और सौहार्द की अपील:

बैठक में मंच ने युद्ध से जूझ रहे देशों जैसे इजरायल-फिलिस्तीन, यूक्रेन-रूस, और ईरान-तुर्की के हालात पर गहरी चिंता व्यक्त की। राष्ट्रीय संयोजक डॉक्टर शाहिद अख्तर ने कहा, “युद्ध से न केवल मानव जीवन का विनाश होता है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक और नैतिक धरोहर को भी चोट पहुंचाता है।” मंच ने इन युद्धग्रस्त देशों के नेताओं को आपसी समझ और सहयोग के माध्यम से शांति का मार्ग अपनाने की अपील की। डॉक्टर अख्तर ने मंच के अंतरराष्ट्रीय अभियान का जिक्र करते हुए कहा कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच शांति के पैगाम को पूरे विश्व में फैलाने के लिए कार्य करेगा।

चीन के विस्तारवाद की निंदा:

बैठक में चीन के विस्तारवाद नीति की भी निंदा की गई। मंच ने कहा कि चीन की आक्रामकता और विस्तारवादी नीति न केवल क्षेत्रीय स्थिरता को खतरे में डाल रही है, बल्कि यह वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए भी गंभीर चुनौती बन गई है। हम सभी देशों से अपील करते हैं कि वे चीन के इस विस्तारवादी रवैये का विरोध करें और सामूहिक रूप से विश्व शांति को बनाए रखने के लिए कदम उठाएं।

युद्ध का पर्यावरण पर प्रभाव:

बैठक में यह भी चर्चा की गई कि युद्ध का पर्यावरण और जीव-जंतुओं पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है। राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद अफजाल ने कहा कि युद्ध क्षेत्रों में बढ़ता प्रदूषण, जल स्रोतों का दूषित होना, और वन्यजीवों का पलायन न केवल पर्यावरण के लिए खतरनाक है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक बड़ा संकट है। मंच ने पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय लिया, जिसमें युद्धग्रस्त क्षेत्रों में राहत कार्य और पर्यावरणीय पुनरुद्धार को प्राथमिकता दी जाएगी।

समावेशिता और भाईचारे का संदेश:

राष्ट्रीय संयोजक और महिला विंग की मेंटोर डॉ. शालिनी अली ने बैठक में कहा कि “भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में समावेशिता और भाईचारे को बढ़ावा देना बेहद जरूरी है।” उन्होंने कहा कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच इस दिशा में विशेष कार्यक्रम आयोजित करेगा, जिसमें सभी धर्मों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाया जाएगा। ये कार्यक्रम धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता का सम्मान करते हुए आपसी समझ और सौहार्द को बढ़ावा देंगे।

युद्धों के भयावह आंकड़े:

राष्ट्रीय संयोजक डॉ. माजिद तालिकोटी ने बैठक में कहा कि युद्धों के कारण होने वाले विनाशकारी परिणामों को समझना और उन्हें जन-जन तक पहुंचाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष में अब तक कई हजार लोग मारे जा चुके हैं, जबकि यूक्रेन-रूस युद्ध में लाखों लोगों की मौत हो चुकी है और 1.5 करोड़ से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। उन्होंने कहा कि युद्ध के कारण मानवता की ही नहीं, बल्कि पर्यावरण और स्वास्थ्य की भी भारी क्षति हो रही है। प्रदूषण के कारण कैंसर, फेफड़े, किडनी और लीवर से संबंधित बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। यहां तक कि लोगों का मानसिक तनाव बहुत ज्यादा बढ़ता जा रहा है जिसके कारण ब्रेन हेमरेज और पार्लीसिस का भी खतरा बन जाता है।

बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए, जिनमें प्रमुख थे:

  1. विश्व शांति का प्रचार: मंच ने निर्णय लिया कि वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शांति के संदेश को फैलाने के लिए विशेष अभियान चलाएगा। यह अभियान उन देशों पर विशेष ध्यान देगा जो वर्तमान में युद्ध और संघर्ष से जूझ रहे हैं।
  2. पर्यावरण और जीव-जंतु संरक्षण: युद्ध के पर्यावरण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए मंच ने पर्यावरण और जीव-जंतु संरक्षण के लिए जागरूकता अभियानों की योजना बनाई है।
  3. समावेशिता और सांस्कृतिक सहयोग: मंच विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक संगठनों के साथ मिलकर समावेशिता और सहयोग बढ़ाने के लिए कार्यक्रम आयोजित करेगा, जिसमें विविधता का सम्मान और आपसी भाईचारे को बढ़ावा दिया जाएगा।
  4. युद्ध के परिणामों पर जागरूकता अभियान: मंच युद्ध से प्रभावित देशों के आंकड़ों को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए विशेष जागरूकता अभियान शुरू करेगा, ताकि लोग युद्ध के वास्तविक परिणामों से अवगत हो सकें और शांति की दिशा में कदम बढ़ा सकें।

दशहरे के संदेश का प्रसार, विशेष निर्णय और पहल:

मीडिया प्रभारी ने बताया कि बैठक में यह निर्णय लिया गया कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच दशहरे के संदेश को देश और दुनिया के कोने-कोने में फैलाएगा। मंच विशेष कार्यक्रमों और बैठकों का आयोजन करेगा, जिसमें सभी धर्मों और समुदायों के लोगों को एकजुट कर विश्व शांति और सौहार्द का संदेश दिया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता को सम्मानित करना और एकजुटता को बढ़ावा देना है।

शाहिद सईद ने बताया कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की राष्ट्रीय संयोजक मंडल की इस बैठक में लिए गए निर्णयों ने स्पष्ट किया कि शांति और सौहार्द के बिना मानवता का विकास संभव नहीं है। मंच ने दशहरे के इस पावन अवसर पर देशवासियों से अपील की कि वे एकजुट होकर शांति और सौहार्द के लिए कार्य करें। मंच ने युद्ध से प्रभावित देशों और उनके नागरिकों के लिए प्रार्थना की और समाज के सभी वर्गों से आग्रह किया कि वे विश्व शांति की दिशा में योगदान दें।