श्री मनःकामेश्वर नाथ रामलीला का हुआ राज्याभिषेक संग समापन, स्थानीय बच्चों ने दी सांस्कृतिक प्रस्तुति
श्रीमनःकामेश्वर बाल विद्यालय, दिगनेर में चल रही थी दस दिवसीय श्रीमनः कामेश्वरनाथ राम लीला
आगरा। प्रथम तिलक बसिष्ट मुनि कीन्हा, पुनि सब बिप्रन्ह आयसु दीन्हा। सुत बिलोकि हरषीं महतारी, बार− बार आरती उतारी।। सर्वप्रथम मुनि वशिष्ठ जी ने श्रीराम का तिलक किया। फिर उन्होंने सब ब्राह्मणाें को तिलक करने की आज्ञा दी। पुत्र को राज सिंहासन पर देखकर तीनों माताएं हर्षित हुयीं और उन्होंने बार− बार आरती उतारी। ये दृश्य मन को आनंदित करता रहा। हर किसी के अधरों पर एक जाप मेरे राम आये हैं, मेरे राम आये हैं चल रहा था।
रविवार को गढ़ी ईश्वरा, ग्राम दिगनेर, शमशाबाद रोड स्थित श्रीमनः कामेश्वर बाल विद्यालय में चल रही श्रीमनःकामेश्वरनाथ रामलीला का समापन श्रीराम के राज्याभिषेक के साथ हुआ। गुरु वशिष्ठ के स्वरूप में श्रीमहंत योगेश पुरी और मठ प्रशासक हरिहर पुरी ने श्रीराम के स्वरूप के राजतिलक किया और आरती उतारी।
भगवान की आरती होते ही स्थानीय बच्चों ने मंत्रमुग्ध करने वालीं सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। बच्चों की प्रस्तुतियों के बाद श्रीकिशाेरी रास लीला एवं राम लीला संस्थान के कलाकारों ने रास नृत्य प्रस्तुत किया। लीला मंचन में राज्याभिषेके के बाद दरबार में उपस्थित सभी लोगों को उपहार प्रदान किये गए। अपने प्रिय पुत्र हनुमान जी को माता सीता ने रत्नजड़ित माला दी, जिसे हनुमान जी ने अपने दांताें से तोड़ दिया। माला के हर मोती को हनुमान जी तोड़ते जा रहे थे और गौर से देखे जा रहे थे। उदास होकर सारे मोती फेंक दिए। इस पर लक्ष्मणजी क्रोधित हो गए और इसे श्रीराम का अपमान समझा। तब श्रीराम द्वारा हनुमान जी से इस कृत्य का कारण पूछा गया तब हनुमान जी बोले मेरे लिए हर वो वस्तु व्यर्थ है जिसमें मेरे प्रभु राम का नाम ना हो। तब लक्ष्मण जी ने हनुमान जी को उलाहना दिया कि तुम्हारे शरीर पर भी तो राम नाम अंकित नहीं है। लक्ष्मण जी की बात सुन हनुमान जी ने अपना वक्षस्थल नाखूनों से चीर दिया, जिसमें श्रीराम और माता सीता की सुंदर छवि विराजित थी। जैसे ही ये दृश्य मंचित हुआ सीया पति रामचंद्र जी की जय, पवनपुत्र हनुमान जी की जय के जयघोष से पूरा प्रांगण गूंज उठा। और इसके साथ ही विश्राम दिया गया दस दिवसीय श्रीराम लीला आयोजन काे।