आगरा। आज की लीला के प्रारंभ में दशान के पास इन्द्रजीत के युद्ध में चीर गति के प्राप्त होने का समाचार आता है। दशानन को धैर्य नहीं रखा जाता है और पाताल में अहिरावण के पास जाकर समस्त युद्ध का वृतान्त बताता है। अहिरावण महाराज विभीषण का रूप धारण कर राम दरबार में जाते हैं और दोनों भाईयों को चोरी कर पाताल लोक में ले आते हैं।
विभीषण जी द्वारा हनुमान जी को बताया जाता है कि अहिरावण राम व भ्राता लक्ष्मण को पाताल लोक ले गया है। हनुमान जी पाताल लोक जाते है जहां उनका सामना अपने पुत्र मकरध्वज से होता है। मकरध्वज को बांधकर दे अन्दर प्रवेश करते हैं जहां अहिरावण देवी का प्रसन्न करने के लिए दोनों की बलि देना चाहता है। तभी हनुमान जी द्वारा अहिरावण को मार दिया जाता है।
अहिरावण की मृत्यु का समाचार सुनने के बाद दशानन के चेहरे पर चिंता की लकीरे आती है यह स्वय युद्ध भूमि में युद्ध के लिए जाता है। विभीषण जी द्वारा प्रभू श्री राम को बिना रथ के देखकर शोक किया जाता है कि तभी समस्त देवताओं द्वारा देवराज इन्द्र से प्रार्थना करके प्रभू श्री राम के लिए रथ भेजा जाता है। प्रभू श्री राम द्वारा रथ में बैठकर युद्ध किया जाता है। घनघोर युद्ध होता है। धनघोर युद्ध में कई बार रावण का सिर व भुजाये कट जाती है किन्तु पुनः जुड़ जाती है।
प्रभू श्री राम देखकर मुस्कराते हैं तभी महाराज विभीषण द्वारा प्रभू श्री राम को बताया जाता है कि रावण की नामि में अमृत है। आप एक साथ 31 बाण छोटे तभी महाराज रावण वीरगति को प्राप्त होगे। प्रभू श्री राम द्वारा एक साथ 31 बाण छोटे जाते हैं। रावण के दसी सिर व भुजाये अलग हो जाती है और रावण युद्ध भूमि में गिर पड़ता है। एक बाण मन्दोदरी के पास पहुंच कर पुनः श्री राम के पास वापस आ जाता है। रावण का तेज प्रभू श्री राम में समा जाता है। समस्त देवता व भगवान शिव व ब्रहमा जी द्वारा आकाश से पुष्प वर्षा की जाती है। प्रभू श्री राम की जय-जयकार होती है।
इसके बाद आतिशबाजी का भव्य मुकाबला हुआ जिनमें उनके द्वारा प्रमुख रूप से जो आतिशबाजी दिखाई गई आज की प्रमुख आतिशबाजी में 22 जनवरी को जो अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के मंदिर की स्थापना हुई है वह दिखाई गई साथ ही भारत के प्रमुख उद्योगपति श्री रतन टाटा जी को श्रद्धांजलि दी गई. ऐसे ही आगरा के कैप्टन शुभम गुमा को श्रद्धांजलि दी गई और आसमान में सतरंगी छटा बिखेर रहे आतिशबाजी की गई, ग्रीन आतिशबाजी की गई और हारना फुल राम और मारीच युद्ध साथ ही भगवान गणेश की तथा मां कैला देवी की आतिशबाजी को प्रमुख रूप से दर्शाया गया। दोनी और से आतिशबाजी की सर्वश्रेष्ठ प्रतियोगिता की गई।
दर्शक आतिशबाजी का भरपूर लुपट उठा रहे हैं। स्कूलों की छुट्टी होने के कारण बच्चों की संख्या अधिक है। बच्चे अपने माता-पिता के साथ लीला व आतिशबाजी देखने आये हुए हैं। दोनों आतिशबाज अपनी आतिशबाजी से दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। देर रात तक आतिशबाजों में मुकाबला जारी था। आतिशबाजी को लेकर दर्शकों में भारी उत्साह था। दशानन के वध के बाद रामलीला मैदान में गगनचुम्बी आतिशबाजी से मैदान गूज रहा था तथा आसमान में सतरंगी छठां छाई हुई थी। दर्शकआतिशबाजी को अपलक निहार रहे थे। समस्त दर्शक दशानन के वध के बाद आतिशबाजी के लिये काफी बैचेन थे।
विजयादशमी के पावन पर्व पर आज रामलीला मैदान पर राम और रावण का धनघोर युद्ध हुआ इसी उपलक्ष्य में 115 फुट के पुतले का दहन भी किया गया जिसमें भव्य आतिशबाजी लगी हुई थी आज युद्ध की मंच की ग्राउंड की और आतिशबाजी की व्यवस्था कमेटी के अध्यक्ष विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल महामंत्री राजीव अग्रवाल श्री मुकेश जोहरी श्री अंजुल बंसल श्री आनंद मंगल श्री प्रकाश चंद्र द्वारा पूर्ण रूप से संभाली गई और इन्हीं के द्वारा आज मैदान में युद्ध, आतिशबाजी का पूरा संचालन किया गया।