अन्यदिल्ली

मैं जनमी हूँ बंगाल में

● *प्रीति जायसवाल*

मुझे गर्व है, मैं जनमी हूँ,
उस धरती पर, जहाँ से उठे थे,
रवींद्रनाथ और क्रांतिवीर,
जिनसे कांपे थे अँग्रेज़ों के सम्राट।
मैं बेटी हूँ उस बंगाल की,
जहाँ का कण-कण है ज्ञान का दीपक।
मुझे गर्व है, मैं जनमी हूँ बंगाल में।

जहाँ के जन कहलाते हैं,
विद्या और बुद्धि के धनी,
जहाँ के साहित्य, कला और संगीत ने,
विश्व को दिखाई है नयी दिशा।
मैं जन्मी हूँ उस पावन धरा पर,
जहाँ की मिट्टी में बसे हैं संस्कार।
मुझे गर्व है, मैं जनमी हूँ बंगाल में।

जहाँ से आरंभ हुआ था,
राष्ट्रगान का गान,
जहाँ बहती हैं तीस्ता, महानंदा और हुगली की नदियाँ,
सदियों से निरंतर, देतीं जीवन और प्रेरणा।
मैं अभिमान से कहती हूँ,
मैं जनमी हूँ उस महान बंगाल में।