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करवाचौथ की अपनी कहानी सुनिए असीम अरुण राज्यमंत्री की ज़ुबानी करिए ख़बर क्लिक

लखनऊ। हमारी करवाचौथ स्टोरी 1997 में हमारी शादी हुई थी वो डीडीएलजे का ज़माना था पति- पत्नी दोनों व्रत रखें ऐसा फैशन आ चुका था ज्योत्स्ना मेरे लिए और मैं ज्योत्स्ना के लिए हम दोनों व्रत रखते थे मुझे व्रत रखने में ज़्यादा कठिनाई नहीं होती, पर ज्योत्स्ना को एसिडिटी, सिर दर्द, आदि काफी कष्ट होता कुछ साल बाद ज्योत्स्ना ने कहा यह तरीका ठीक नहीं है, मैं कष्ट में रहूं तो आपको मेरा ध्यान रखना चाहिए।


बात में कुछ दम था तो एक बार प्रयोग करके देखा ज्योत्स्ना ने व्रत रखा और मैंने उनका ध्यान यह भी अच्छा रहा तब से हम कर्वा चौथ की मूल परंपरा के अनुसार चल रहे हैं।