नगला हवेली, दयालबाग की चौपाल में हुआ विशेष जागरुकता कार्यक्रम
फसल अवशेषाें से बने हस्तनिर्मित उत्पादों की लगायी प्रदर्शनी, दिया प्रशिक्षण भी
आगरा। वर्तमान समय में समाज में स्वास्थ्य और पर्यावरणीय जागरूकता को बढ़ावा देना अत्यंत आवश्यक हो गया है। जंक फूड और अस्वस्थ खानपान की आदतों ने न केवल लोगों के शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित किया है, बल्कि विभिन्न बीमारियों को भी जन्म दिया है।
इन बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए डीईआई की छात्राओं ने नगला हवेली, दयालबाग स्थित चौपाल में शुक्रवार को एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम की शुरुआत में एमएससी द्वितीय वर्ष की छात्राओं ने स्वस्थ भोजन पर आधारित एक नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया, जिसमें अनाज, दालें, फल, सब्जियां, दूध, दुग्ध उत्पाद और वसा एवं तेलों जैसे चार प्रमुख खाद्य समूहों की महत्ता को समझाया गया। उन्होंने जंक फूड के नुकसान के बारे में भी जानकारी दी।
पीएचडी स्कॉलर नेहा अग्रवाल ने महिला उद्यमिता की आवश्यकता पर चर्चा की और गेहूं के पुआल और मक्का के छिलकों से बने उत्पाद जैसे हैंडबैग दीवार सजावट बास्केट्स चाबी के छल्ले आदि दिखाए और प्रशिक्षण दिया गया। यह पहल महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम थी।
जरदोजी कला पर भी विशेष जोर दिया गया। पीएचडी स्कॉलर पूजा कुमारी ने जरदोजी कार्य की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस कला के संरक्षण से स्थानीय कारीगरों को आर्थिक रूप से सशक्त किया जा सकता है।
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए भी एक विशेष सत्र हुआ। पीएचडी स्कॉलर खुशबू त्यागी ने गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पोषण और स्वास्थ्य देखभाल की जानकारी दी।
शोध निर्देशिका एवं कार्यक्रम संयोजक प्रो. मधुलिका गौतम ने कार्यक्रम के उद्देश्यों और उनके समाज पर प्रभाव के बारे में जानकारी दी। बताया कि कार्यक्रम में फसल अवशेषों से बने हस्तशिल्प उत्पादों का भी प्रदर्शन किया गया, जिसे स्थानीय लोगों ने सराहा व भविष्य के सहयोग में रुचि व्यक्त की।
कार्यक्रम के आयोजन में राधा प्यारी, रुमाना रिज़वी, संध्या कुमारी आयुषी और भारती कुमारी का महत्वपूर्ण योगदान रहा।