उत्तर प्रदेशजीवन शैली

मंदाकिनी तट पर लगा ऐतिहासिक गधा बाजार फिल्मी स्तरों के नाम पर हो रही बिक्री


संवाद/ विनोद मिश्रा


चित्रकूट। जिले में दिवाली की अगली सुबह एक अलग ही रौनक है। मंदाकिनी नदी के किनारे फिल्मी स्टार्स का जमावड़ा है, जिन्हें देखने वालों की भीड़ लगी हुई है। यह आपको नॉर्मल लग रहा होगा, लेकिन यहां बातें फिल्म स्टार्स की नहीं बल्कि गधों की हो रही है। सभी ऐतिहासिक ‘गधा मेला’ में बिकने के लिए आए हैं।
चित्रकूट जिले में मंदाकिनी नदी के किनारे ऐतिहासिक गधा बाजार सजा चुका है। इसमें सैकड़ों की संख्या में कई राज्यों के गधा और खच्चर व्यापारी पहुंचे हैं। मेले के तीन दिनों में फिल्मी सितारों के नाम वाले खच्चर व गधों की बोली लगेगी।


बता दें कि जिले में गधों का मेला हर साल दिवाली के दूसरे दिन से लगता है और यह तीन दिनों तक चलता है। यह मेला मुगलकाल में औरंगजेब के जमाने से लग रहा है। मान्यता है कि जब औरंगजेब चित्रकूट पहुंचे थे, तब रसद और असलहे ढोने वाले गधे और खच्चर बीमार पड़ने लगे थे।इस पर किसी ने औरंगजेब को सलाह दी कि यहां गधों का मेला लगाया जाए। इस मेले में देश के अलग-अलग प्रदेशों और विदेश से भी व्यापारी और खरीदार आते हैं। इस मेले में अच्छी नस्ल के गधों और खच्चरों की कीमत हजारों से लाखों में होती है।


मंदाकिनी तट पर हर साल लगने वाले इस मेले में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और बिहार के पशु व्यापारी शामिल होते हैं। वहीं, इन जानवरों के खरीदार देशभर से आते हैं। यहां पहुंचे व्यापारियों ने बताया कि यहां गधों की पहचान फिल्मी कलाकारों के नाम से होती है। मेले में आने वाले व्यापारियों का मानना है कि बॉलीवुड कलाकारों का नाम देने से गधों की बिक्री बढ़ जाती है।