जनवरी से अक्टूबर तक 14592 लोगों में टीबी के रोग की हुई थी पुष्टि
पिछले अभियान में 161 टीबी के नए रोगी मिले थे
मरीजों ने टीबी को मात देकर साबित किया कि जीवन में हर चुनौती को पार किया जा सकता है
मथुरा। जनपद में 1675 मरीजों ने टीबी को मात देकर साबित किया कि जीवन में हर चुनौती को पार किया जा सकता है। दवा की मदद से जनवरी से अक्टूबर तक क्षय रोग से ग्रसित 1675 मरीजों ने टीबी जैसी गंभीर बीमारी को मात देकर अपना नया जीवन शुरू किया है। क्षय रोग की नियमित दवा खाने के बाद मरीज पूरी तरह से स्वस्थ होकर सामान्य जीवन जीने लगे हैं।
फरह ब्लॉक के ग्राम फतेहा की 17 वर्षीय निवासी सोनाक्षी (बदला हुआ नाम) बताती है कि आठ माह पहले मुझे खांसी आना शुरू हुई उसके बाद बुखार भी आने लगा कभी बुखार सामान्य रहता तो कभी बहुत तेज हो जाता है लेकिन लगातार खांसी आ रही थी इसके चलते मेरे घर के सदस्यों ने प्राइवेट चिकित्सक से मेरा इलाज कराया। दवाई खाने के बाद थोड़ा आराम मिल जाता लेकिन बुखार और खांसी पूरी तरह से ठीक नहीं हो रही थी साथ ही कमजोरी भी महसूस होने लगी। स्वास्थ्य ठीक ना होने की वजह से दो महीने तक मैं स्कूल नहीं गई जिससे मेरी पढ़ाई में भी बाधा उत्पन्न हुई।
फिर मेरी मां ने मेरा आगरा के प्राइवेट चिकित्सक से भी कुछ दिन तक उपचार कराया लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ। इसी दौरान हमारे क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता मंजू देवी ने मेरी मां को टीबी की जांच करने की सलाह दी लेकिन हम लोगों का यह मानना था कि हमें टीबी नहीं हो सकता है इसलिए टीबी की जांच करने का विचार भी नहीं आया। मुझे भी लगता था कि मुझे टीबी नहीं हो सकता है सामान्य खांसी जुखाम है।
सोनाक्षी बताती है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र फरह में स्थित टीबी यूनिट में जाकर मैने अपनी टीबी की जांच के लिए बलगम का सैंपल दिया लेकिन रिपोर्ट में टीबी पॉजिटिव नहीं आया। इसके बाद सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर राजेश यादव ने मेरी दोबारा टीबी जांच कराई और मेरे घर पर आकर जांच के लिए बलगम का सैंपल लिया। दोबारा कराई गई जांच रिपोर्ट में टीबी पॉजिटिव आया जब मुझे पता चला कि मुझे टीबी हो गया है तो मैं बहुत डर गई और घबरा गई।
इस दौरान टीबी यूनिट के चिकित्सक और स्टाफ ने मुझे दिलासा देते हुए बताया कि छह महीने तक तुम नियमित दवा का सेवन करोगी तो जल्द से जल्द ठीक हो जाओगी और अगर आप आराम मिलने पर बीच में दवा को छोड़ छोड़ कर खाएंगे तो आप ठीक भी नहीं होंगे और आपकी टीबी गंभीर रूप ले सकती है इसलिए मैंने चिकित्सक द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का पालन किया।
सोनाक्षी बताती है कि मेरा टीबी का उपचार 4 अप्रैल 2023 से शुरू हुआ इसी दौरान सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर द्वारा मेरे परिवार के सदस्यों की भी टीबी की जांच कराई गई लेकिन मेरे घर में किसी का भी टीबी पॉजिटिव नहीं आया। वह बताती है कि मुझे फेफड़ों की टीबी हुई थी इसलिए मुझे मास्क लगाने और घरवालों से थोड़ा सा दूरी बरतने के लिए सलाह दी गई थी जिससे मेरे घर के अन्य सदस्यों को टीबी का संक्रमण न हो।
मैंने चिकित्सक द्वारा दी गई सलाह का मन से पालन किया लेकिन उपचार के दौरान बहुत सारे सकारात्मक और नकारात्मक विचार मन में आते रहे, सामाजिक विचारधारा के बारे में सोचकर मनोबल भी गिरा लेकिन मेरे परिवार के सदस्यों और मंडोना ग्रामीण विकास प्रतिष्ठान के प्रतिनिधियों ने भावनात्मक सहयोग देते हुए मेरा हमेशा हौसला बढ़ाया जिससे मुझे खुशी मिली।
मंडोना ग्रामीण विकास प्रतिष्ठान के द्वारा उन्हें गोद लिया गया था और हर माह पोषण पोटली दी गई, जिसमें पौष्टिक आहार शामिल थे। उन्होंने पौष्टिक आहार से स्वादिष्ट व्यंजन बनाने के बारे में जानकारी दी और रोजाना व्यायाम करने की सलाह दी। उन्हें निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपये प्रतिमाह बैंक अकाउंट में धनराशि भी दी गई। छह महीने का उपचार पूर्ण होने के बाद में मेरी फॉलोअप जांच भी हो गई है।
जिसमें टीबी निगेटिव आ गया। उसे देखकर मुझे काफी खुशी महसूस हुई। अब मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं और मन से अपनी पढ़ाई कर रही हूं। सोनाक्षी ने कहा कि टीबी किसी को भी हो सकता है सभी को लक्षण आने पर अपनी जांच अवश्य करानी चाहिए, जिससे समय से उपचार प्राप्त कर टीबी को मात दी जा सके।
जिला क्षय रोग अधिकारी डा. संजीव यादव ने बताया कि जनवरी से अक्टूबर तक 14592 लोगों में टीबी के रोग की पुष्टि हुई थी जिसमें से 1675 मरीज टीबी जैसी गंभीर बीमारी को मात देकर स्वस्थ हो गए हैं। उन्होंने कहा कि यदि सही समय पर टीबी के लक्षण की पहचान करके जांच करा ली जाए और नियमित उपचार शुरू कर दिया जाए तो क्षय रोग से स्वस्थ हुआ जा सकता है।
इसी क्रम में 9 से 20 सितंबर तक चलाए गए सक्रिय क्षय रोगी खोजी (एसीएफ) अभियान के जरिये 161 नये टीबी रोगियों की खोज हुई। सभी नये टीबी रोगियों का इलाज शुरू किया जा चुका है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अजय कुमार वर्मा ने बताया कि देश को टीबी मुक्त तभी किया जा सकता है, जब टीबी मरीजों को स्वस्थ होने में मदद की जाए और उसके संक्रमण को फैलने से रोका जाए। उन्होंने बताया कि हमें यह भी समझना बेहद जरूरी है कि टीबी के बैक्टीरिया हवा के जरिये संक्रमित व्यक्ति के ड्रॉपलेट्स से फैलते हैं।
अगर टीबी मरीज मास्क का इस्तेमाल करता है तो उससे संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। साथ ही तीन सप्ताह तक लगातार दवाई लेने के बाद भी वह दूसरों को संक्रमित नहीं कर सकता है। यदि आपके घर में कोई टीबी रोगी है तो उसके खाँसने से, छींकने से, थूकने से और यदि रोगी के बहुत नजदीक रहते हैं तो आपको भी टीबी की आशंका है। इसलिए बचाव का बेहद ध्यान रखें ।