परेशानी होने पर 102 नंबर एम्बुलेंस से ले जाएं अस्पतालसर्दियों में निमोनिया और हाइपोथर्मिया समेत कई बीमारियों के होने की आशंका
आगरा। मौसम अब बदलने लगा है। सर्दियों ने दस्तक देना शुरू कर दिया है। रात और सुबह-शाम मौसम ठंडा रहने लगा है। ऐसे में नवजात शिशुओं को मौसम से बचाने की जरूरत है। उन्हें संक्रमण व निमोनियां, बुखार व हाइपोथर्मियां होने का खतरा रहता है। स्वास्थ्य विभाग ने जनपदवासियों से अपील की है कि अगर बच्चे को हाइपोथर्मिया, निमोनिया, बुखार या स्वास्थ्य संबंधित कोई भी दिक्कत हो तो बिना देरी किये नजदीकी सरकारी अस्पताल पर पहुंचें।
शिशुओं और उनके एक अभिभावक को 102 नंबर एम्बुलेंस से अस्पताल जाने और घर वापस लौटने की सुविधा प्रदान की जा रही है। नवजात शिशु की मां को यह ध्यान रखना है कि बच्चे के जन्म से छह माह तक केवल स्तनपान कराना है। मां का दूध नवजात के लिए अमृत समान है यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसलिए माताएं शिशु को अपना दूध पिलाना बंद न करें।
सर्दियों में निमोनिया और हाइपोथर्मिया समेत कई बीमारियों के होने की आशंका
आगरा। मौसम अब बदलने लगा है। सर्दियों ने दस्तक देना शुरू कर दिया है। रात और सुबह-शाम मौसम ठंडा रहने लगा है। ऐसे में नवजात शिशुओं को मौसम से बचाने की जरूरत है। उन्हें संक्रमण व निमोनियां, बुखार व हाइपोथर्मियां होने का खतरा रहता है। स्वास्थ्य विभाग ने जनपदवासियों से अपील की है कि अगर बच्चे को हाइपोथर्मिया, निमोनिया, बुखार या स्वास्थ्य संबंधित कोई भी दिक्कत हो तो बिना देरी किये नजदीकी सरकारी अस्पताल पर पहुंचें।
शिशुओं और उनके एक अभिभावक को 102 नंबर एम्बुलेंस से अस्पताल जाने और घर वापस लौटने की सुविधा प्रदान की जा रही है। नवजात शिशु की मां को यह ध्यान रखना है कि बच्चे के जन्म से छह माह तक केवल स्तनपान कराना है। मां का दूध नवजात के लिए अमृत समान है यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसलिए माताएं शिशु को अपना दूध पिलाना बंद न करें।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में 102 नंबर को निर्देश है कि मां और उसके दो साल की उम्र तक के बच्चे को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत होने पर उनके घर से लाने व घर वापस पहुंचाने की सुविधा प्रदान करें। बच्चे के जन्म से लेकर 28 दिन तक की अवस्था को नवजात शिशु की श्रेणी में रखा गया है। बच्चे की स्वास्थ्य की दृष्टि से यह अवधि बेहद संवेदनशील होती है। खासतौर पर सर्दियों में पैदा होने वाले बच्चों के प्रति अधिक सतर्कता बरतनी है। सरकारी चिकित्सालय पर संस्थागत प्रसव ही मां और नवजात शिशु के लिए भी सुरक्षित होता है।
वहां बने नवजात शिशु देखभाल कॉर्नर पर प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के उपकरण और सुविधाएं मौजूद हैं। संस्थागत प्रसव के बाद अतिशीघ्र बच्चों का जीरो डोज टीकाकरण किया जाता है और शीघ्र स्तनपान करवाया जाता है। मां या घर के सदस्य को कंगारू मदर केयर (केएमसी) का भी प्रशिक्षण दिया जाता है जिससे वह नवजात शिशु को हाइपोथर्मिया से बचा सकती हैं। कम वजन के बच्चों का वजन बढ़ाने में भी केएमसी की अहम भूमिका है।
एसीएमओ आरसीएच/अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजीव वर्मन ने बताया कि जो नवजात शिशु और उनकी मां अस्पताल से छुट्टी पाकर घर चले जाते हैं, उन्हें स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत होने पर आशा कार्यकर्ता की मदद लेनी चाहिए। अभिभावक खुद भी फोन करके एम्बुलेंस के जरिये ऐसे शिशुओं को अस्पताल पहुंचा सकते हैं।
सभी सरकारी अस्पतालों में नवजात शिशुओं के देखभाल की प्राथमिक सुविधा उपलब्ध है। शिशु को ज्यादा दिक्कत होने पर चिकित्सक द्वारा उन्हें आवश्यकतानुसार न्यू बोर्न स्टेबिलाइज़ेशन यूनिट (एनबीएसयू) और स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) के लिए रेफर कर दिया जाता है । रेफरल के दौरान भी नवजात शिशु और मां को एम्बुलेंस से ही अस्पताल पहुंचाया जाता है।
एनटीसीपी के नोडल अधिकारी डॉ.सुरेंद्र मोहन प्रजापति ने बताया कि जनपद में सीएचसी अछनेरा, सीएचसी खेरागढ़, सीएचसी बाह, सीएचसी एत्मादपुर और सीएचसी शमशाबाद पर एनबीएसयू की सुविधा उपलब्ध है साथ ही सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर न्यू बोर्न केयर कॉर्नर हैं, जहां नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं।
यह लक्षण दिखें तो ले जाएं अस्पताल
• -नाक बंद होने से सांस लेने और मां का दूध पीने में भी दिक्कत
• सांस छोड़ने पर घरघराहट की आवाज़
• खांसी या बलगम
• बुखार आना या बच्चे का सुस्त रहना
• ठंड लगने पर उल्टी या दस्त की समस्या
निमोनिया व हाइपोथर्मिया से बचाव के लिए नवजात शिशुओं के लिए इन बातों का रखें ध्यान
• स्तनपान कराएं।
• शिशु को गर्म रखें।
• साफ-सफाई का ध्यान रखें।
• टीकाकरण करवाएं।
• शिशु को ठंड से बचाएं।
सर्दी में नवजात शिशुओं के लिए आवश्यक सावधानियां:
• स्तनपान: जन्म के बाद छह माह तक सिर्फ स्तनपान देना चाहिए, इससे बच्चे को रोगों से लड़ने की ताकत मिलती है।
• टीकाकरण: नियमित टीकाकरण करवाना चाहिए।
• स्वच्छता: बच्चे के आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखना चाहिए।
• तापमान नियंत्रण: बच्चे को अधिक ठंड या गर्मी से बचाना चाहिए।
• नियमित जांच: डॉक्टर के पास नियमित जांच करवानी चाहिए।
परेशानी होने पर यह करें:
• 102 नंबर एम्बुलेंस से अस्पताल ले जाएं।
• डॉक्टर की सलाह लें।
• आवश्यक उपचार करवाएं।
नवजात शिशुओं के लिए खतरनाक बीमारियां:
• निमोनिया
• हाइपोथर्मिया
• सेपसिस
• बर्थ-एस्फिक्सिया
• नियोनेटल जॉन्डिस
जनपद आगरा में इन स्थानों पर एनबीएसयू की सुविधा उपलब्ध हैं
• सीएचसी अछनेरा
• सीएचसी खेरागढ़
• सीएचसी बाह
• सीएचसी एत्मादपुर
• सीएचसी शमशाबाद