उत्तर प्रदेश

कल निकलेगी मानिक चंद जाटव वीर की शोभायात्रा क्या है इनका इतिहास क्यों ख़ास है 11 नवंबर जानिए उनके बारे में करिए क्लिक

आगरा। डॉ.मानिकचन्द जाटववीर जयन्ती समारोह समिति एवं युवा जाटव महापंचायत के तत्वाधान में पूर्व सांसद प्रथम लोकसभा समाज सुधारक दादा साहब डा. मानिकचन्द जाटव वीर की 127 वीं जयन्ती 11 नवम्बर 2024 को मनाई जाएगी। इस उपलक्ष्य में 17 वीं भव्य शोभायात्रा आगामी 11 नवंबर को निकाली जायेगी। इस बारे में और जानकारी देते हुए शोभायात्रा समिति के महासचिव राजकुमार सिंह एडवोकेट ने बताया कि कल सुबह 10:30  बजे एम.सी. वीर इण्टर कॉलेज खतैना जगदीशपुरा से शोभायात्रा प्रारम्भ होकर जगदीशपुरा, बोदला चौराहा, प्रेमनगर, राम नगर की पुलिया, प्रकाश नगर, सी.ओ.डी. कॉलोनी एवं भोगीपुरा प्वाइंट से साकेत कालोनी, नगला गंगाराम, लोहामण्डी होकर नौबस्ता होती हुई। पुनः एम.सी. वीर. इण्टर कॉलेज, खतैना जगदीशपुरा पर समाप्त होगी। उसके बाद समिति द्वारा सम्मानित समाजसेवियों का स्वागत कर कार्यक्रम का समापन होगा

कौन हैं डॉ. मानिकचंद जाटव वीर जानिए इनके बारे में

दादा साहेब डा. मानिक चन्द्र जाटव वीर पूर्व सांसद प्रथम लोक सभा का जन्म 11 नवम्बर 1897 ई. को किदवई पार्क राजामण्डी आगरा में हुआ था। आपके पिता का नाम भोलानाथ एवं माता का नाम देवकी था। आपने दसवीं कक्षा सेन्ट जॉन्स कॉलेज से उत्तीर्ण की इसके बाद आपका विवाह विशस्त्रा के साथ हुआ था जो आगरा के पास विल्हनी गांव की रहने वाली थीं। शादी के कुछ समय बाद उन्हें पालिका अस्पताल के संक्रामक रोग विभाग में शाहगंज क्षेत्र का इंजार्च नियुक्त किया गया।

सन् 1918 ई. में आगरा के आस-पास प्लेग बीमारी महामारी के रूप में फैली थी। उस समय आपने पीड़ितों की देख-रेख के लिए जाटव वीर स्वयं सेवक दल की स्थापना की। साथ ही आपने चर्मकार जाति को जाटव वीर शब्द से सम्बोधित किया। सन् 1936 जाटव शब्द को मान्यता दिलाई और ‘जाटव महासभा’ की स्थापना की।

अपने राजनैतिक जीवन के साथ आप राजा की मण्डी अपने निवास ‘वीर भवन’ पर चौपाल लगाकर पीड़ितों की फरियाद सुनकर निस्तारण कराते ।सन् 1936 आपने जीवन ज्योति’ व ‘जाटव ग्रन्थमाला’ का प्रकाशन कराया। 1937-1939 तक ब्रिटिश काल में निर्दलीय विधायक भी रहे। सन् 1952 में पहले लोक सभा चुनाव में संवाई माधौपुर से कृषिकार लोकपार्टी से सांसद चुने गये। आप शिड्यूल फैडरेशन के अध्यक्ष भी रहे। आपने शिक्षा के महत्व को समझते हुए 1937-38 में जाटव वीर इन्स्टीट्यूशन की स्थापना की और 1940 में खतैना में एक छात्रावास भी खुलवाया।

एम सी वीर छात्रावास का दुर्लभ चित्र

आपने समाज के नौजवानों को नौकरी दिलाने हेतु उ.प्र. विधान सभा के सामने सत्याग्रह भी किया साथ में धरना प्रदर्शन कर गिरफ्तारी भी दी। इसके दौरान आप दोनों पति-पत्नी को नैनी जेल में भेजा गया।आपको 1943 में राय बहादुर की पदवी से सम्मानित किया गया जिसे अंग्रेज सरकार का विरोध करते हुए 1946 में लौटा दिया। सन् 1946 को बाबा साहेब को आगरा में प्रथम बार लाने में आपकी अहम भूमिका रही। आपकी पत्नी के चले जाने के बाद अकेले रहने लगे थे। लगातार स्वास्थ्य बिगड़ने लगा जिसके बाद उपचार के लिए एस. एन. मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया जहाँ बाबा साहेब के महा परिनिर्वाण के 23 दिन बाद 29 दिसम्बर 1956 को चिरनिद्रा में सो गये।

ये रहेंगे कार्यक्रम में शामिल

शांति प्रसाद सम्राट संस्थापक अध्यक्ष), शशिपाल सागर, गोपाल कौशल, राजकुमारी (उपाध्यक्ष), राजकुमार सिंह एडवोकेट (महासचिव), राज कुमार मौर्या (सचिव), सतीश सागर (सह सचिव), राकेश कुमार पिप्पल, निरंजन सिंह कोषाध्यक्ष), देवेन्द्र सिंह, रामहरी दुवेश (संगठन मंत्री) ब्रिजेश कुमार अम्बेस, किशन बिहारी, केशव प्रसाद कर्दम, अशोक कुमार चंदन, मुकेश सेहरा (प्रचार मंत्री)

बालकृष्ण कश्यप, सतीश कुमार मुखिया, गजेन्द्र सिंह पिप्पल (पार्षद), राकेश कुमार जाटव, डा. रामेश्वर दयाल, डा. हरिओम निगम, श्यामबाबू, महावीर प्रसाद, सोवरन सिंह, पदम सिंह, रामदास, राकेश खन्ना, ओ. पी. सिंह एडवोकेट, नीलम सिंह प्रधान, जे. पी. भण्डारी, डा. देवेन्द्र केशरी, शारदा बौद्ध, ऊषा बौद्ध, राकेश कुमार, प्रमोद कैन, पुष्पेन्द्र कुमार, एम. चन्द्रा एडवोकेट, मदन लाल (लैदर वाले) ओमप्रकाश कैम, जयपाल सिंह, राजेन्द्र सिंह, अजय राना, मुन्ना लाल भारतीय, उदयवीर सिंह, रविन्द्र कुमार, (पार्षद पति), हरीश कुमार व हेमराज सिंह, नरेन्द्र कुमार, रतीराम, इन्द्रजीत सिंह, आशीष कुमार सिंह एड., महेश चन्द्र शामिल हैं।