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डीएम साहब दें ध्यान: धान बिक्री में किसान शोषण के शिकार:मचा हाहाकार


संवाद/ विनोद मिश्रा


बांदा।सरकार द्वारा धान की सभी किस्मों का समर्थन मूल्य घोषित न होने से मंडल के किसानों में चिन्ता है। किसानों की हालत घर के न घाट के तरह हो गई है। धान की बिक्री में शोषण का शिकार हो रहें हैं।बांदा के किसानों को कुशल प्रशासक अपने जिलाधिकारी नगेन्द्र प्रताप सिंह से उम्मीद है की शोषण से बचाने के लिये वह अपने स्तर से पहल करेगें। चित्रकूटधाम मंडल में धान की सरकारी खरीद पहली नवंबर से होगी। सरकार ने मोटे धान का समर्थन मूल्य 2300 ग्रेड ए का 2320 रूपये तो घोषित कर दिया है लेकिन बासमती व परसन धान का समर्थन मूल्य निर्धारित नहीं किया।
ऐसे में किसान बाजार में माटी मोल धान बेचने को मजबूर हैं।

किसानों का कहना है कि चित्रकूटधाम मंडल के चारों जनपदोंबांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा में इस वर्ष 58,466 हेक्टेअर में धान की रोपाई की गई। इसमें 330 हेक्टेअर मेें बासमती, परसन, चिन्नावर आदि सुगन्धिक धान की रोपाई की गई है।


परंतु उत्पादक किसानों की हालत यह है कि वह न तो घर के हैं, न घाट के। सरकार ने पतले धान का समर्थन मूल्य घोषित नहीं किया है। इसकी खरीद न होने से बाजार में भी मूल्य कम है। किसान बाजार में पतला धान माटी मोल बेचने को मजबूर है।
किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है। किसानों का कहना है कि प्रति हेक्टेअर 14 हजार रुपये लागत आती है और उत्पादन महज 20 से 25 क्विंटल होता है। अब देखना होगा की समस्या का निदान होगा भी या नहीं यह तो सरकार की उदारता और ईमान दारी पर निर्भर है।