दिल्ली

शिक्षा निति की ग़ल्तियों की अनदेखी करना चिंता का विषय



नई दिल्ली ।। शिक्षा हमारे देश के प्रगतिशील होने और और बच्चों के उज्जवल भविष्य की मुख्य धरोहर है और इसके लिए देश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम भी है परन्तु सरकार ओर निर्वाचित सदस्यों द्वारा इसकी अन्देखी करना चिंता का विषय है यह विचार मिशन एज्युकेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शफ़ी देहलवी ने मिशन द्वारा चूड़ी वालान के दीन दुनिया हाऊस में आयोजित सेमिनार में व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षा का दोहरा पैमाना और शिक्षा को व्यापार बनाने के कारणों में मुख्य कारण सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं द्वारा शिक्षा व्यवस्था पर मौन बने रहना है । स्कूल मे दाखिला मुश्किल बनाने के पीछे भी शिक्षा को व्यापार बनाने का षड्यंत्र है।

फंज़लुर्रहमान कुरेशी की अध्यक्षता में आयोजित सेमिनार के इस अवसर पर दिल्ली की अनेक सामाजिक संस्थाओं और कार्यकर्ताओं ने विचार रखे जिसमें डॉ फहीम बेग ने कहा कि शिक्षा के विषय में सभी सामाजिक संस्थाओं को छात्रों को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए । चिंता का विषय यह है कि हम हमारी जनता और हमारे सरकार में बैठे पदाधिकारी तथा हमारे निर्वाचित नेता शिक्षा के विषय में सरकार से जनता से राजनीतिक दल कोई चर्चा नहीं करता ।


डॉ खुर्शीद आलम ने कहा कि नेताओं द्वारा जो स्कूलों में एस एम सी सदस्य मनोनीत किए जाते हैं उनमें अधिकांश तो ज्यादा पढ़े लिखे नहीं होते तो समस्या का समाधान कैसे हो ।
अपने अध्यक्षीय भाषण में फंज़लुर्रहमान कुरेशी ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था की निगरानी कौन करे न यहां शिक्षा आयोग है न शिक्षा के अधिकार अधिनियम पर चर्चा न शिक्षा के दोहरे स्टेन्डर्ड पर विचार जनता व सरकार व नेताओं के लिए सडक पानी बिजली ही सब से बड़ी समस्या है यह चिंता का विषय है । सभी सामाजिक संस्थाओं को चाहिए कि समाज सेवा का आधार केवल शैक्षिक समस्याओं को ही अप समाज सेवा का आधार बनाएं ।

इस अवसर पर मिशन के महासचिव मोहम्मद युसूफ ने धोषण की कि मिशन एज्युकेशन स्कूलों में इस बार दाखिले की प्रक्रिया शुरू होने से पहले घूम घर जाकर दाखिले से संबंधित जानकारी दैंगे और जहां किसी अभिभावकों को मुश्किल होगी उसकी सहायता की जायेगी।
इस अवसर पर अनेक सामाजिक कार्यकर्ताओं को एवार्ड से सम्मानित किया गया । सेमिनार को डॉ खुर्शीद आलम। रब्बानी कुरेशी अरशद फहमी नदीम अहमद , नसीरुलहसन झिंझानवी सलमान कुरेशी इरशाद आलम ने भी संबोधित किया सेमिनार आयोजित करने में शाह जहां बेगम अमीनुद्दीन महरूननिसा तन्जील खां मेराज कुरेशी की विशेष भूमिका रही । मिशन एज्युकेशन द्वारा सरकार से मांगा की गई कि शिक्षा व्यवस्था की निगरानी के लिए शिक्षा आयोग की स्थापना की जाए ।और स्कूलों में हर बच्चे का दाखिला कानून अनुसार यकीनी बनाया जाए और यह नियम लागू किया जाए कि किसी स्कूल किसी भी क्लास में बच्चों के दाखिले के लिए कोई डोनेशन कोई दाखिला फीस वसूल न की जाय। और देश की शैक्षिक व्यवस्था और उसकी आर्थिक जरूरतें सरकार अपने नियंत्रण में ले तथा सरकारी स्कूल व प्राइवेट स्कूल के अंतर को समाप्त करे