दिल्ली

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की किताब लाजवाब, शुरू होगा अल्पसंख्यक कल्याण का नया अध्याय: किरण रिजिजू


वक्फ सुधारों पर आधारित किताब ‘रिस्पेक्ट टू इस्लाम एंड गिफ्ट फॉर मुस्लिम्स’ का विमोचन

नई दिल्ली: अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू ने कृष्ण मैनन रोड स्थित अपने निवास स्थान पर “वक्फ बिल 2024: रिस्पेक्ट टू इस्लाम एंड गिफ्ट फॉर मुस्लिम्स” नामक किताब का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का यह प्रयास अल्पसंख्यक कल्याण का नया अध्याय शुरू करेगा। किताब वक्फ प्रणाली के सुधार और मुस्लिम समाज के समग्र विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। किताब के लेखकों में डॉ. शाहिद अख्तर, डॉ. शालिनी अली, शिराज़ कुरैशी (वकील) और शाहिद सैयद का योगदान है, जिन्होंने इस महत्वपूर्ण विषय पर गहन शोध और अध्ययन किया है।

किरण रिजिजू ने किताब के विमोचन के दौरान लेखकों की सराहना की और उनके प्रयासों को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि यह किताब न केवल वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के लिए एक मार्गदर्शक साबित होगी, बल्कि यह मुस्लिम समाज के कल्याण और सशक्तिकरण के लिए एक उपहार के रूप में कार्य करेगी। रिजिजू ने विशेष रूप से मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) के कार्यों की सराहना की, जो वक्फ के मुद्दों पर जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि यह संगठन मुस्लिम समुदाय को समाज में न्याय, समानता और विकास के साथ जोड़े रखने में अहम योगदान दे रहा है।

लेखकों का योगदान:

डॉ. शाहिद अख्तर, जो कि वक्फ और अल्पसंख्यक मामलों में एक प्रतिष्ठित विद्वान हैं, ने इस किताब में वक्फ प्रणाली के इतिहास और इसके सुधार की आवश्यकता को बेहद बारीकी से प्रस्तुत किया है। उनका मानना है कि वक्फ को सही दिशा में आगे बढ़ाने के लिए पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और बेहतर प्रशासन की आवश्यकता है, ताकि इसका लाभ सही रूप से समाज के निचले तबके तक पहुंचे।

डॉ. शालिनी अली, जो एक प्रमुख समाजसेवी और राजनीतिक विश्लेषक हैं, ने इस किताब में महिलाओं की वक्फ बोर्डों में भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया है। उनका कहना है कि महिलाओं की सक्रिय भागीदारी से वक्फ के निर्णय और प्रबंधन में और अधिक न्यायपूर्ण और समावेशी बदलाव आएंगे।

शिराज़ कुरैशी, एक प्रसिद्ध वकील, ने वक्फ संपत्तियों के कानूनी मामलों और न्यायिक प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा की है। उनका मत है कि वक्फ संपत्तियों पर पारदर्शी और स्वतंत्र ऑडिट, साथ ही कड़े कानूनी प्रावधानों की आवश्यकता है, ताकि वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग सुनिश्चित हो सके।

शाहिद सईद, जो एक अनुभवी समाजसेवी और मीडिया व्यक्तित्व हैं, ने इस किताब के माध्यम से वक्फ के सुधार के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। उन्होंने वक्फ संपत्तियों के प्रशासन में पारदर्शिता और समाज के सभी वर्गों की भागीदारी के महत्व को रेखांकित किया है। शाहिद ने उदाहरण देते हुए बताया कि महात्मा गांधी, सरदार पटेल और डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने भले ही वक्फ मुद्दों पर सीधे तौर पर विचार न किया हो, लेकिन उनके आदर्श और सिद्धांत वक्फ सुधारों की भावना से गहराई से जुड़े हुए हैं। गांधी के “सर्वोदय” (सभी का कल्याण) के सिद्धांत, पटेल का एकता और पारदर्शिता पर जोर, और अंबेडकर का आर्थिक न्याय और हाशिये पर खड़े समुदायों के उत्थान का दृष्टिकोण, वक्फ संपत्तियों को सामाजिक कल्याण, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के लिए उपयोग करने की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। गांधी, पटेल और अंबेडकर की विचारधारा हमें वक्फ सुधारों की दिशा में प्रेरित करती है, ताकि वक्फ समाज की प्रगति, सामंजस्य और सामुदायिक कल्याण में एक महत्वपूर्ण योगदान दे सके।

किताब का मुख्य उद्देश्य:

किताब में वक्फ प्रणाली की चुनौतियों को स्पष्ट रूप से दिखाया गया है और वक्फ बिल 2024 में किए गए सुधारों की वकालत की गई है। “उम्मीद एक्ट” (United Waqf Act for Management, Empowerment, Efficiency, Development) के जरिए वक्फ संपत्तियों का कुशल प्रबंधन, डिजिटल रिकॉर्ड-कीपिंग और तीसरे पक्ष से ऑडिट की प्रक्रिया का प्रस्ताव रखा गया है। यह बदलाव वक्फ बोर्डों में पारदर्शिता लाने, वक्फ संपत्तियों का अधिकतम उपयोग करने और समाज के सबसे कमजोर वर्गों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किए गए हैं।

किरण रिजिजू ने इस किताब के विमोचन के दौरान इसे वक्फ सुधार के लिए एक मील का पत्थर करार दिया और कहा कि इस किताब में न केवल वक्फ सुधारों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, बल्कि यह समाज में न्याय, समानता और समग्र विकास की भावना को भी बढ़ावा देती है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की नीतियों की सराहना करते हुए कहा कि वक्फ संपत्तियों का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण के लिए किया जाएगा, जो मुस्लिम समुदाय को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

किताब में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि वक्फ न केवल एक धार्मिक न्यास है, बल्कि यह एक राष्ट्रीय संपत्ति के रूप में काम कर सकता है, जो समावेशी और न्यायपूर्ण विकास को बढ़ावा दे सकता है। रिजिजू ने यह भी कहा कि इस किताब से वक्फ को लेकर जागरूकता बढ़ेगी और वक्फ प्रणाली में सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

किरण रिजिजू ने मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि यह मंच मुस्लिम समुदाय के बीच जागरूकता फैला रहा है, जो समाज में एकता और समरसता को बढ़ावा देने के लिए अत्यंत आवश्यक है।