उत्तर प्रदेशजीवन शैली

दरगाह पर सुब्हानी मियां की सरपरस्ती में दो रोज़ा उर्स ए हामिदी का आगाज़

उलेमा का मदरसे के छात्रों से आव्हान दुनियाभर में करें इल्म की शमा रौशन। दिन में जिलानी मियां के कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। देर रात तक जारी रहा तहरीरी(लिखित) व तकरीरी इनामी मुकाबला

दुनिया भर में सुन्नी,सूफी,खानकाही विचारधारा के प्रचार-प्रसार के लिए मंजर-ए-इस्लाम की स्थापना: मुफ्ती सलीम

बरेली,आला हज़रत फ़ाज़िले बरेलवी के बड़े साहिबजादे हुज्जातुल इस्लाम मुफ़्ती हामिद रज़ा खान साहब (हामिद मियां) का 84 वा दो रोज़ा उर्स-ए-हामिदी का आज दरगाह आगाज़ दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान साहब (सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती व सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) की सदारत व सय्यद आसिफ मियां की निगरानी में तिलावत-ए-कुरान से हुआ। सुबह 8 बजे हजरत जिलानी मियां साहब के कुल शरीफ की महफिल का आगाज़ हुआ। इसके बाद खत्म बुखारी शरीफ की महफिल शुरू हुई। शेखुल हदीस अल्लामा मुफ्ती हनीफ खान ने सभी तलबा को बुखारी शरीफ की आखिरी हदीस का दर्स दिया। मदरसा मंजर ए इस्लाम के प्रिंसिपल मुफ़्ती आकिल रज़वी ने कहा कि सभी छात्र जिन्होने मंज़र-ए-इस्लाम से तालीम हासिल की है उसकी शमा दुनिया भर में रौशन कर मज़हब व मसलक के लिए काम करे। कितनी ही दुश्वारियां पेश आये मगर हक़ का दामन न छोड़े हमेशा हक़ बयान करे। हक्कानियत बयान करे और मसलक अहले सुन्नत व मसलक ए आला हज़रत के मिशन को आम करे। वरिष्ठ मुफ्ती सलीम नूरी बरेलवी ने मंजर ए इस्लाम की स्थापना के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 1904 में आला हज़रत ने इसकी संगे बुनियाद रखी। पहला दीक्षांत समारोह 1905 में मस्जिद बीबी जी में मनाया गया। इस मदरसे की तरक्की और तामीर में हुज्जातुल इस्लाम,मुफ्ती ए आजम हिंद, मुफस्सिर ए आजम व रेहान ए मिल्लत का अहम योगदान रहा।
मदरसे के सदर मुफ़्ती आकिल रज़वी ने इल्मे हदीस पर रौशनी डाली।
दरगाह से जुड़े नासिर कुरैशी ने बताया कि सुबह 10 बजकर 30 मिनट पर जिलानी मियां के कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। फातिहा मुफ्ती सय्यद कफील हाशमी ने, शजरा मुफ्ती जमील व ख़ुसूसी दुआ मुफ़्ती आकिल रज़वी ने की। रात 9 बजे ऑल इंडिया तहरीरी,तक़रीरी व मुशायरे का मुकाबला शुरू हुआ जो देर रात तक जारी था। मुकाबले के जज मौलाना डॉक्टर एजाज़ अंजुम,मुफ्ती अफ़रोज़ आलम,मुफ्ती मोइनुद्दीन,मौलाना अख्तर रहे।
निज़ामत (संचालन) मुफ्ती शुएब मंजरी व मुफ्ती सलीम नूरी बरेलवी ने किया।


कल का कार्यक्रम

बाद नमाज़-ए-फ़ज़्र कुरानख्वानी व दिन में गुल पोशी व चादर पोशी का सिलसिला चलेगा। मुख्य कार्यक्रम रात 9 बजे शुरू होगा। देश भर के नामवर उलेमा की तक़रीर होगी। रात 10 बजकर 35 मिनट पर हुज्जातुल इस्लाम के कुल शरीफ की रस्म अदा की जाएगी। इसके बाद मदरसा मंज़र-ए-इस्लाम का दीक्षांत समारोह (दस्तारबंदी) का जश्न शुरू होगा। मुफ़्ती 24,आलिम 84,हाफिज 04 व कारी 74 कुल 193 तलबा (छात्रों) को दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियां व सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मियां के हाथों डिग्रियां सौपकर दस्तारबंदी की जाएगी। इनामी मुकाबले में शामिल विजेताओं को इनाम तकसीम (वितरित) किये जायेगें।
उर्स की व्यवस्था में मुख्य रूप से रज़ाकार हाजी जावेद खान,शाहिद नूरी,अजमल नूरी,परवेज़ नूरी,मौलाना अबरार उल हक़,औररंगज़ेब नूरी,ताहिर अल्वी,मंज़ूर रज़ा,मुजाहिद बेग,आलेनबी,गौहर खान,हाजी शारिक नूरी,इशरत नूरी,ज़ोहेब रज़ा,तारिक सईद,शान रज़ा,सबलू अल्वी,अब्दुल माजिद,सय्यद एजाज़,सय्यद माजिद,इरशाद रज़ा,अरबाज़ रज़ा,साजिद नूरी,नईम नूरी,साकिब रज़ा,अशमीर रज़ा,सैयद जुल्फी,इरशाद रज़ा,युनुस गद्दी,समी खान,अजमल रज़ा,मोहसिन रज़ा, सुहैल रज़ा,साद रज़ा,नफीस खान,शारिक बरकाती,हाजी अब्बास नूरी,काशिफ सुब्हानी,हाजी शकील, आदि ने संभाली।