उत्तर प्रदेश

कोविड के बाद से बेपटरी हुई शिल्पकारों की जीवनधारा, यूनेस्को के साथ मिलकर एक पहल बनेगी अब सहारा

  • स्टोन इनले क्राफ्ट के मास्टर कारीगरों के साथ यूनेस्को और एक पहल ने संयुक्त रूप से रखी गोष्टी
  • एक पहल साथ शिल्पकार परिवारों को देगी कौशल विकास और इंग्लिश स्पीकिंग की कार्यशाला
  • यूनेस्को के प्रतिनिधियों के सामने शिल्पकारों ने रखी अपनी समस्याएं. बोले शोरूम की मध्यस्थता कम हो

आगरा। ताज नगरी आगरा की एक पहचान यहां की शिल्पकारों की कारीगरी भी है। यहां मार्बल के पत्थरों को तराशकर उस पर कारीगरी करके नायाब बनाने वाले शिल्पकारों को उनकी मेहनत का पूरा मुआवजा दिलाने और उनके कौशल को और अधिक विकसित करने के लिए यूनेस्को और एक पहल संस्था साथ साथ आगे आए हैं।
मंगलवार को फतेहाबाद रोड स्थित होटल ताज सिटी में यूनेस्को एवं एक पहल संस्था के संयुक्त तत्वाधान में गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में ताजगंज में कार्यरत स्टोन इनले क्राफ्ट के मास्टर कारीगरों की समस्या का समाधान एवं नई संभावनाएं तलाशी गईं। यूनेस्को की चीफ ऑफ सेक्टर फॉर कल्चर जुन्ही हान ने अपनी टीम के चिरोंजीत गांगुली और स्नेहा दत्तात्रेय बोराते के साथ कारीगरों की समस्याएं सुनीं।
तीन बार राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित रफीक गुरु ने शिल्पकारों की समस्या बताते हुए कहा कि कोविड के बाद से शिल्प के कारीगरों की बहुत ही बुरी स्थिति चल रही है। पहले तो भी थोड़ा बहुत काम मिल जाता था, काम के साथ-साथ फायदा हो जाता था किंतु अब ना तो काम है ना किसी तरह की आमदनी। उन्होंने कहा कि आज अपने काम में माहिर कारीगर भी रिक्शा तक चलने को मजबूर हैं। कार्यक्रम में उपस्थित करीब 40 से अधिक कारीगरों ने एक स्वर में हैंडलूम शोरूम के मालिकों की मध्यस्थता को कम करने की आवाज उठाई। सभी ने कहा कि जो भी मुनाफा होता है वह एंपोरियम शोरूम वाले रख लेते हैं। उनके अनुसार उन्हें काम करना पड़ता है। उनकी जो रचनात्मक है वह भी आकर नहीं ले पाती। उनके बच्चे पुरखों के इस काम में नहीं आना चाहते। आर्थिक तंगी के कारण ना तो शिक्षा मिल पा रही है और न ही स्वस्थ जीवन।
एक पहा संस्था के सचिव मनीष राय ने कहा कि उनकी संस्था शिल्पकारों की हर संभव मदद करेगी। सर्वेक्षण करवाकर शिल्पकार और उनके परिजनों को कौशल विकास के साथ-साथ इंग्लिश स्पीकिंग की ट्रेनिंग दी जाएगी। ताजगंज क्षेत्र में ही एक पहल संस्था केंद्र शुरु किया जाएगा और शिल्पकारों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर काम करेगी।
गोष्ठी में जुन्ही हान ने कारीगरों से पूछा क्या वे शोरूमों पर ही निर्भर रहना चाहते हैं या अपना भी कुछ कार्य करना चाहते हैं तो इस पर एक स्वर में सभी ने सहमति जताई कि वे सभी अपनी रचनात्मकता को बढ़ाते हुए ऑनलाइन व्यापार में भी आना चाहते हैं।
इस अवसर पर एक पहल संस्था के उपाध्यक्ष अंकित खंडेलवाल, मानस राय, अश्लेष मित्तल, मधु त्रिपाठी, संजना रावत आदि उपस्थित रहे।