आगरा। कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी हिंदी तथा भाषा विज्ञान विद्यापीठ, डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा, केंद्रीय हिंदी विभाग, त्रिभुवन विश्वविद्यालय काठमांडू (नेपाल) बी. डी.जैन कन्या महाविद्यालय आगरा,बैकुंठी देवी कन्या महाविद्यालय आगरा,अखिल विश्व हिंदी समिति, कनाडा कथा (यू.के.) लंदन,ग्लोबल हिंदी ज्योति,कैलिफोर्निया,अमेरिका एवंहिंदी वैश्विक संस्थान, नीदरलैंड्स के संयुक्त तत्वावधान में 27 एवं 28 नवंबर 2024 को त्रिभुवन विश्वविद्यालय के भारत- नेपाल पुस्तकालय के नए भवन में ‘विश्व फलक पर राम’ विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो.आशुरानी जी ने की और मुख्य अतिथि नेपाल सरकार के संस्कृति, पर्यटन तथा नागरिक उड्डयन मंत्री श्री बद्री प्रसाद पांडे रहे । माननीय मंत्री जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि -” नेपाल और भारत का बहुत पुराना रिश्ता है। दोनों ही मित्र राष्ट्र हैं और संगोष्ठी के विषय की दृष्टि से देखें, तो आप माता जानकी की ससुराल से आए हैं। हमारे यहाँ स्थित जनकपुर सीता माता का मायका रहा है और भारतवर्ष के अयोध्या से आप आए हैं। भारत और नेपाल दोनों ने सदैव मित्रवत व्यवहार किया और जिस भवन में आप बैठे हैं। इसका निर्माण भारत सरकार के सहयोग से किया गया है।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति आशुरानी जी ने कहा कि -” हमारी भारतीय ज्ञान परंपरा बहुत समृद्ध और महान रही है। रामचरितमानस और रामायण में भी अनेक जगह इसके प्रमाण मिलते हैं। रामचरितमानस में उल्लिखित पुष्पक विमान से पता लगता है, कि त्रेता युग में भी तकनीकी रूप से बहुत उन्नत प्रौद्योगिकी मौजूद थी। इसी प्रकार संजीवनी बूटी के उल्लेख से सिद्ध होता है,कि हम हजारों साल पहले भी चिकित्सा की दृष्टि से कितने समृद्ध थे।
मुख्य वक्ता के रूप में अमेरिका से पधारी वरिष्ठ साहित्यकार एवं ग्लोबल हिंदी ज्योति, कैलिफोर्निया की संस्थापक अध्यक्ष डॉ. अनिता कपूर ने कहा कि -” आज विश्व भर में राम की लीलाओं का मंचन किया जाता है और उनके आदर्शों का पालन किया जाता है। ऐसे में संगोष्ठी की सार्थकता स्वयं सिद्ध है। संगोष्ठी के संयोजक प्रो.प्रदीप श्रीधर ने संगोष्ठी के विषय में अपनी बात रखते हुए कहा -” कि राम इस सृष्टि के कण -कण में समाए हैं। समस्त ब्रह्मांड में स्थित समस्त जड़ – चेतन में वह निराकार रूप में विद्यमान हैं।
आज हमें राम के आदर्शो पर चलने की महती आवश्यकता है। तुलसीदास ने श्रीरामचरितमानस के माध्यम से समाज और परिवार की व्यवस्थाओं के अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। इस अवसर पर “राम कथा का उदात्त दस्तावेज विषय पर एक कविताओं और चित्रों की प्रदर्शनी का आयोजन भी दिल्ली विश्वविद्यालय की डॉ दीप्ति अग्रवाल जी द्वारा किया गया और संगोष्ठी हेतु प्राप्त आलेखों की दो पुस्तकों का लोकार्पण भी किया गया , जिनका विषय था
“विश्व फलक पर राम”एवं “सामाजिक समरसता के प्रणेता श्री राम”
त्रिभुवन विश्वविद्यालय काठमांडू,नेपाल में दो दिन तक चलने वाली इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन सत्र डॉ.भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के पालीवाल पार्क स्थित जुबली हॉल में दिनांक 3 दिसंबर 2024 को प्रातः 11:00 बजे से आरंभ होगा।
त्रिभुवन विश्वविद्यालय,काठमांडू में उद्घाटन और समापन सत्र के अलावा 6 अकादमिक सत्रों का आयोजन भी किया गया, जिसमें भारत और नेपाल के प्राध्यापकों, विद्वानों एवं साहित्यकारों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से काठमांडू स्थित भारतीय राजदूतावास के मिशन उप प्रमुख नवीन श्रीवास्तव भी उपस्थित रहे।
विभिन्न अकादमिक सत्रों में उपस्थिति इस प्रकार से रही- भारत से प्रो. पूनम सिंह, प्रो. वंदना अग्रवाल, प्रो.शिखा श्रीधर, प्रो. बहादुर सिंह परमार, प्रो.गुंजन, डॉ. निशीथ गौड़, प्रो. अनसुइया अग्रवाल, डॉ संजय कुमार, प्रो.सारिका दुबे, प्रो. आशिमा घोष आदि तथा त्रिभुवन विश्वविद्यालय से डिल्लीराम शर्मा संग्रोला, सुदर्शन लाल कर्ण, प्रो.संजीता वर्मा, प्रो. रमेश भट्टराई, डॉ. कुमारी लक्ष्मी जोशी, कंचन झा, विनोद कुमार विश्वकर्मा, डॉ. फड़ीन्द्र निरौला, डॉ श्वेता दीप्ति, डॉ सुशील कोटनाला आदि।