उत्तर प्रदेशजीवन शैली

बुंदेलखंड पैकेज से बनी करोड़ों की बांदा मंडी को वर्षों से क‍िसानों का इंतजार


संवाद/ विनोद मिश्रा


बांदा। जिले के महोबा रोड पर स्‍थ‍ित बांदा की व‍िश‍िष्ट मंडी बेमकसद साबित हो रही है। यहां न तो आढ़ती हैं और न ही किसान आते हैं। घनघोर सन्नाटे का आलम पसरा रहता है। इस मंडी स्‍थल निर्माण की शुरुआत 2015 में हुई थी। लगभग 64 करोड़ की लागत से बनी इस मंडी के आसपास लगभग 35 गांव हैं। लेकिन मंडी में खरीद न के बराबर होती है। मंडी में चारों ओर गोबर का ढेर है। बीच में इसे अस्थायी गोशाला भी बना द‍िया गया था। हालांक‍ि मंडी में एक बैनर लगा है, ज‍िसके अनुसान यहां ज्‍वार,धान की खरीद होती है। पर यहां क‍िसान क्‍यों नहीं पहुंच रहे हैं? यह अहम सवाल है।


किसानों का कहना है की हमारे इस क्षेत्र में ज्‍यादातर मटर और चने की खेती होती है। कुछ लोग धान,गेहूं लगाते भी हैं तो वह उनके खाने के लिए ही होता है। अब खरीद वाली उपज होगी ही नहीं तो क‍िसान उसे मंडी में बेचेगा कैसे। यही वजह है क‍ि ये मंडी हमारे क‍िसी काम की नहीं है क‍िसानों के न आने की वजह यह है क‍ि यहां आढ़ती नहीं हैं। उनके दुकानें तो हैं। लेक‍िन उनके आवंटन के लिए कोई अब तक आया ही नहीं।